पत्रकार महेश लांगा ने जीएसटी धोखाधड़ी मामले में दूसरी एफआईआर को चुनौती देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया

लांगा पर जीएसटी धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया गया है, जिसमें अहमदाबाद में पहले ही एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है। अब उन्होंने राजकोट में इसी मामले के संबंध में दर्ज दूसरी एफआईआर को चुनौती दी है।
Gujarat High Court, Mahesh Langa
Gujarat High Court, Mahesh Langa
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द हिंदू के लिए काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा ने गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है जिसमें जीएसटी (माल और सेवा कर) धोखाधड़ी मामले के संबंध में राजकोट में दर्ज दूसरी एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) की वैधता को चुनौती दी गई है, जिसमें पहले से ही अहमदाबाद में एक एफआईआर दर्ज की गई थी [महेशदान प्रभुदान लांगा बनाम गुजरात राज्य और अन्य]।

न्यायमूर्ति संदीप भट ने सोमवार को मामले में जीएसटी विभाग से जवाब मांगा और याचिका पर सुनवाई के लिए 7 जनवरी, 2025 की तारीख तय की।

न्यायालय ने कहा, "प्रथम दृष्टया, यह पता चलता है कि वर्तमान याचिका पर विचार करने के लिए जीएसटी विभाग की उपस्थिति भी आवश्यक है। 07.01.2025 तक वापसी योग्य नोटिस जारी।"

Justice Sandeep Bhatt
Justice Sandeep Bhatt

जीएसटी धोखाधड़ी का मामला जिसमें लंगा शामिल है, वह कई कंपनियों और उनके मालिकों से संबंधित है, जिन पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का धोखाधड़ी से दावा करने का आरोप है।

इस मामले में पहली एफआईआर अहमदाबाद में दर्ज की गई थी। लंगा के वकील ने तर्क दिया है कि अब राजकोट में उसी जीएसटी अपराध का हवाला देते हुए दूसरी एफआईआर दर्ज की गई है।

चूंकि यह उसी मामले से संबंधित है, इसलिए लंगा ने तर्क दिया कि दूसरी एफआईआर टिक नहीं सकती। उनके वकील ने कहा कि अधिकारी अहमदाबाद में पहले से दर्ज एफआईआर के आधार पर मामले की जांच कर सकते हैं।

सोमवार को जब मामले की सुनवाई हुई तो लंगा के वकील ने कोर्ट को बताया कि विभाग के वकील के बारे में जानकारी के अभाव में लंगा की याचिका की प्रति अभी तक जीएसटी विभाग को नहीं दी गई है।

इसलिए, न्यायालय ने संबंधित जीएसटी प्राधिकरण को नोटिस जारी किया और अगली सुनवाई में उपस्थित होने का आदेश दिया।

इस साल 8 अक्टूबर को अहमदाबाद डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच (DCB) ने लंगा को गिरफ्तार किया था। मजिस्ट्रेट ने उसे दस दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया।

इसके बाद, लांगा ने उच्च न्यायालय में अपनी रिमांड को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि मामले में उन पर झूठा आरोप लगाया गया है और उनकी गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है, ताकि उन्हें पत्रकारिता गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सके। हालांकि, बाद में लांगा ने रिमांड को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस ले ली।

इसके बाद लांगा ने जमानत याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे पता चले कि उनका कथित जीएसटी धोखाधड़ी से दूर-दूर तक कोई संबंध है।

हालांकि, मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष के अनुसार, लांगा ने कथित अपराध को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभाई थी और आयकर और जीएसटी से बचने के लिए अन्य सह-आरोपियों के साथ साजिश रची थी।

मजिस्ट्रेट ने उन आरोपों पर भी गौर किया कि लांगा ने अपनी पत्नी कविताबेन लांगा को अपने वित्तीय लाभ के लिए और करों से बचने और सरकार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से 'डीए एंटरप्राइज' नामक फर्म में भागीदार बनाया था।

लांगा पर धोखाधड़ी के आरोपों से जुड़े एक अलग मामले में भी मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, उन्हें उस मामले में अहमदाबाद की एक अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी है।

महेश लंगा की ओर से वकील एजे याग्निक और वेदांत जे राजगुरु पेश हुए।

अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) मितेश अमीन ने गुजरात राज्य का प्रतिनिधित्व किया।

[आदेश पढ़ें]

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