मुंबई की एक अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ सोमवार को जमानती वारंट जारी किया।
विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने चिकित्सा आधार पर पेशी से छूट की मांग करने वाली ठाकुर की याचिका को खारिज करते हुए आदेश पारित किया।
अदालत ने वारंट रद्द करने के लिए उसे 20 मार्च से पहले पेश होने और 10,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के निकट मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी, लेकिन 2011 में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया।
विशेष अदालत ने अक्टूबर 2018 में ठाकुर और अन्य आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय किए.
323 से अधिक गवाहों को पेश करने और उनकी जांच करने के बाद, अभियोजन पक्ष ने अदालत को सूचित किया कि उसने 14 सितंबर, 2023 को आरोपी के साक्ष्य की रिकॉर्डिंग पूरी कर ली है।
न्यायाधीश लाहोटी को विशेष रूप से मुकदमे की सुनवाई करने के लिए सौंपा गया था, फिर सभी आरोपियों को अपने बयान दर्ज करने के लिए अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालत द्वारा मुकदमे की सुनवाई के लिए जब भी तारीख तय की जाएगी, आरोपियों को उपस्थित रहना होगा।
अदालत ने 25 फरवरी को ठाकुर को एक दिन के लिए पेशी से छूट दे दी थी क्योंकि उन्होंने खराब स्वास्थ्य का दावा किया था, लेकिन उन्हें 27 फरवरी को उपस्थित रहने के लिए कहा था।
अदालत ने सभी आरोपियों को बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी होने तक निर्दिष्ट तारीखों पर अदालत में उपस्थित रहने का भी आदेश दिया था।
अदालत ने 25 फरवरी को कहा था, ''ठाकुर 27 फरवरी और उसके बाद भी अदालत में मौजूद रहेंगी, अन्यथा जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
जब ठाकुर इस आदेश का पालन करने में विफल रहे, तो अदालत ने अंततः जमानती वारंट जारी किया।
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