गुजरात के कच्छ के रण से तेईस साल पहले लापता हुए सेना के एक जवान की मां ने सुप्रीम कोर्ट से पाकिस्तान की जेल से उसकी रिहाई की गुहार लगाई है।
कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी की मां ने अदालत से केंद्र सरकार को तुरंत कार्रवाई करने के लिए निर्देश देने की मांग की है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले में नोटिस जारी किया। ऐसा करते समय, अदालत ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील सौरभ मिश्रा से कहा कि वे ऐसे सभी समान रूप से रखे गए सेना के जवानों की सूची बनाएं जो लापता हो गए और उनका पता नहीं लगाया जा सका।
याचिकाकर्ता कमला भट्टाचार्जी ने कहा कि पिछले तेईस वर्षों में, उन्हें न तो उचित अधिकार से पहले अपने मामले को बताने का कोई अवसर दिया गया है, और न ही उनके बेटे को अपने परिवार के सदस्यों के साथ संवाद करने की अनुमति दी गई है।
19 अप्रैल, 1997 को मध्यांतर की रात के दौरान, कैप्टन संजीत कच्छ के रण में भारत-पाकिस्तान सीमा पर अन्य सदस्यों के साथ गश्त के लिए निकला था।
हालांकि, अगले दिन, केवल 15 प्लाटून सदस्य वापस आ गए। कप्तान संजीत और लांस नायक राम बहादुर थापा संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए। बाद में पता चला कि कप्तान संजीत पाकिस्तान जेल में था।
दलील में कहा गया कि विशेषकर खिलाफ दर्ज किसी भी मामले की अनुपस्थिति में, संविधान के अनुच्छेद 20 और 22 के तहत कैप्टन संजीत के मौलिक अधिकारों का पाकिस्तान की जेल में अवैध रूप से हिरासत में रहने के कारण उल्लंघन किया गया था ।
याचिका में पाकिस्तान जेल से उसकी तलाश और रिहाई के लिए केंद्र को तत्काल कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गयी है।
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