मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष इस साल के विधि कार्यक्रमों के लिए एनएलएसआईयू द्वारा एनएलएटी को सीएलएटी के बदले में आयोजित करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को आज उच्च न्यायालय द्वारा क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के बारे में आरक्षण व्यक्त करने के बाद इसे प्रत्याहरण के आदेश दिये हैं।
एडवोकेट सोमित रायजादा के माध्यम से याचिका एक सीएएलएटी आकांक्षी द्वारा प्रस्तुत की गई थी।
जब न्यायमूर्ति संजय यादव और बीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने आज सुबह याचिका सुनवाई के लिए ली गयी, तब यह बताया गया कि झारखंड उच्च न्यायालय ने इसी तरह की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा था और उच्चतम न्यायालय समान प्रकरण मे आज एक और याचिका पर सुनवाई करने वाला है।
नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बेंगलुरु की तरफ से उपस्थित हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवय्या ने अदालत से इस मामले को सूची के अंत में लेने का आग्रह किया, ताकि न्यायालय अन्य न्यायालयों के समक्ष मामलों के तथ्यों से अवगत हो सके।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हालांकि कहा कि याचिका की स्थिरता पर पहले से ही प्रारंभिक कार्यालय आपत्तियां दर्ज की गई हैं, विशेषकर इस बात पर कि क्या उच्च न्यायालय के पास याचिका लेने का क्षेत्राधिकार है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा,
"आप कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहते हैं या इस याचिका को वापस लेना चाहते हैं?"
खंडपीठ आश्वस्त नहीं थी, जब याचिकाकर्ता ने न्यायालय को समझाने के लिए प्रस्तुतियाँ दीं कि याचिका पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जा सकता है।
न्यायालय ने इस संबंध में न्यायालय के गैर संयोजक सिद्धांत का भी हवाला दिया। यह याचिकाकर्ता के तथ्यों से असहमत था कि उच्च न्यायालय के पास सर्वोच्च न्यायालय की तुलना में व्यापक अधिकार क्षेत्र हो सकता है।
"आप इसे वापस ले सकते हैं। हम आपको वापस लेने और परिणाम की प्रतीक्षा करने की अनुमति देंगे", अदालत ने टिप्पणी की।
खंडपीठ ने व्यक्त किया कि मध्यप्रदेश में वाद का कारण नहीं होने से उक्त याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है।
इसलिए, याचिकाकर्ता को याचिका को वापस लेने की अनुमति और मामले पर उचित अदालत मे प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता दी जाती है।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता द्वारा जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय आज मामले में आदेश पारित नहीं करता, इस मामले को लंबित रखने के लिए किए गए एक अनुरोध से भी इनकार कर दिया।
इस अनुरोध के लिए, बेंच ने जवाब दिया,
"नहीं, हम इसे लंबित नहीं रखना चाहते हैं .... जब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह मुद्दा अस्तित्व मे है तो इसे लंबित क्यों रखा जाना चाहिए?"
एनएलएसआईयू के पूर्व कुलपति, प्रोफेसर वेंकट राव और एक व्यथित माता-पिता द्वारा इस मुद्दे पर एक याचिका दायर की गई थी, जिसकी सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीश पीठ द्वारा की जाएगी।
इस बीच, एनएएलएटी को चुनौती देने वाली झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका आज सुबह क्षेत्राधिकार के प्रभाव मे यह कहते हुए कि मामले में अखिल भारतीय प्रभाव है, खारिज कर दिया गया।
एनएलएटी को कल तीन चरणों में आयोजित किया जाना है।
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