दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका में अनुरोध किया गया है कि अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी का संचालन करने वाली उनकी मीडिया कंपनी को खोजी पत्रकारिता के नाम पर किसी भी अपराध की जांच से संबंधित कोई भी समाचार या सूचना प्रकाशित या प्रसारित करने से तत्काल प्रभाव से रोकने का निर्देश दिया जाये।
जनहित याचिका में किसी भी मीडिया संस्थान द्वारा किसी अपराध की जांच से संबंधित कोई खबर प्रकाशित या प्रसारित करने के बारे दिशानिर्देश या नियम बनाने का निर्देश केन्द्र सरकार को दिया जाये।
याचिकाकर्ता मोहम्मद खलील का सरोकार अर्णब गोस्वामी और उनकी मीडिया कंपनी से है जिसके माध्यम से सुशांत सिंह राजपूत की मौत से संबंधित तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर या गुमराह करने वाले तरीके से पेश किया जाता रहा है।
याचिका में कहा गया है कि पूर्वाग्रह से प्रेरित रिपोर्टिंग से रिया चक्रवर्ती के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का अतिक्रमण हुआ है। याचिका के अनुसार,
‘‘यह पूरा तमाशा और कुछ नहीं बल्कि आरोपी के मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार की कीमत पर टीआरपी और दर्शक बढ़ाने के लिये है।’’
याचिका में कहा गया है कि चूंकि इस तरह का प्रसारण न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने में सक्षम है,इसलिए अर्णब गोस्वामी और उनकी मीडिया कंपनी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही भी शुरू की जानी चाहिए।
यह जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान के समक्ष सूचीबद्ध थी।
न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह उन प्रस्तावित नियमों के साथ आये जिन्हें वह लागू कराना चाहता है
इस मामले की अब 27 नवंबर को सुनवाई होगी।
यह याचिका अधिवक्ता रंधीर कुमार लाल के माध्यम से दायर की गयी है जबकि केन्द्र का प्रतिनिधित्व सरकारी वकील अजय दिग्पाल ने किया।
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