सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी होने का दावा करने वाले 64 वर्षीय एक व्यक्ति ने पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की वसीयत का खुलासा करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने की अनुमति के लिए सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। [डी सुंदरा राजन बनाम पुलिस महानिदेशक]।
याचिकाकर्ता डी सुंदरा राजन ने अदालत के समक्ष दावा किया कि वह दिवंगत जयललिता के लिए हॉलिडे विला बुक करते थे, उनकी संपत्ति खरीदने में मदद करते थे आदि, और उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले उन्हें कुछ संपत्ति देने का वादा किया था।
न्यायमूर्ति जीके इलांथिरैयान ने राजन को सुना और तमिलनाडु सरकार को यह जांचने का निर्देश दिया कि क्या याचिकाकर्ता का कोई प्रतिनिधित्व इस मुद्दे के संबंध में जिला कलेक्टर या अन्य संबंधित अधिकारियों के समक्ष लंबित है। राज्य को 12 अक्टूबर तक किसी भी लंबित अभ्यावेदन के बारे में न्यायालय को सूचित करने का निर्देश दिया गया है।
राजन ने अपनी याचिका में दावा किया कि 2016 में जयललिता ने अपनी मृत्यु से पहले उनके पक्ष में एक वसीयत की थी। उन्होंने दावा किया कि जयललिता ने अपने कर्मचारियों और पार्टी सदस्यों के पक्ष में कई वसीयतें की थीं, लेकिन उन वसीयतों की सामग्री का कभी खुलासा नहीं किया गया था।
याचिकाकर्ता-इन-पर्सन के रूप में पेश हुए, राजन ने उच्च न्यायालय से जयललिता द्वारा छोड़ी गई ऐसी वसीयत की सामग्री की जांच करने और उन्हें सार्वजनिक करने का आदेश देने का आग्रह किया।
उन्होंने "हर रोज सुबह 7 बजे से रात 10 बजे के बीच अनिश्चितकालीन अनशन" रखने की अनुमति भी मांगी।
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