प्रशांत भूषण का अवमानना प्रकरण में सजा पर सुनवाई स्थगित करने का उच्चतम न्यायालय से अनुरोध, कहा पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे

Prashant bhushan, Twitter, Supreme Court
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न्यायपालिका की आलोचना करने वाले दो ट्विट के लिये आपराधिक अवमानना के दोषी ठहराये गये अधिवक्ता प्रशांत भूषण को कल सजा सुनाने की कार्यवाही स्थगित करने के लिये उच्चतम न्यायलाय में एक आवेदन दाखिल किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने 14 अगस्त को भूषण को नयायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था और इसकी सजा की सुनवाई के लिये 20 अगस्त की तारीख निर्धारित की थी।

भूषण ने अब यह सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध इस आधार पर किया है कि वह उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराने के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह 30 दिन की कानूनी अवधि के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।

इस सप्ताह के शुरू में भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में बहस करते हुये वरिष्ठ अधिवक्ता डा राजीव धवन ने भी न्यायालय से कहा था कि भूषण 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध कर सकते है।

भूषण ने पुनर्विचार याचिका दायर करने की संभावना के मद्देनजर सजा पर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया और कहा है कि उच्चतम न्यायालय अवमानना के इस मामले में पहला और आखिरी अपीली न्यायालय , इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि न्याय किया जाये।

‘‘आपराधिक अवमानना कार्यवाही में, यह न्यायालय सुनवाई अदालत की तरह और अंतिम अदालत की तरह भी काम करता है। धारा 19 (1) उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना के दोषी व्यक्ति को अपील का कानूनी अधिकार प्रदान करता है। यह हकीकत है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के खिलाफ कोई अपील नहीं हो सकती, इसलिए अधिक सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय किया ही नहीं गया बल्कि यह किया गया नजर भी आये।’’

अपने मामले के समर्थन में भूषण इस तथ्य को इंगित करते हैं कि उच्च न्यायालय के फैसले पर अदालत की अवमानना कानून अपील की अनुमति देता है, ऐसी अपील लंबित होने के दौरान न्यायाय अवमानना के फैसले पर रोक लगा सकता है। इसीतरह, दंड प्रक्रिया संहिता के तहत भी फैसले के खिलाफ अपील लंबित होने पर रोक लगायी जा सकती है।

आवेदन में कहा गया है कि भूषण को 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध का अवसर प्रदान नहीं करना उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा।

खासकर, ऐसी स्थिति में जबकि उच्चतम न्यायालय द्वारा स्वत: कार्यवाही के मामले में एक व्यक्ति को अवमानना का दोषी पाये जाने पर अंतर-न्यायालय अपील का कोई प्रावधान नहीं है जैसा कि प्रशांत भूषण के मामले में है।

यह मुद्दा उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने भी अपने बयान में उठाया है जिसमे इस मामले से जुड़े व्यापक मुद्दों पर विचार के लिये संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया गया है।

इस फैसले के सही होने को चुनौती देने के लिये भूषण को पुनर्विचार याचिका दायर करनी होगी और भूषण के आवेदन में इस तरह जोर दिया गया है।

आवेदन में कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार के अनुरूप होगा। अन्यथा गंभीर अन्याय हो जायेगा क्योंकि दोषी अवमाननाकर्ता की स्वतंत्रता को दांव पर लगाने से पहले स्वत: आपराधिक अवमानना के मामले में निकाले गये निष्कर्ष की सत्यता को परखने का कोई अवसर नहीं होगा।

इसलिए,भूषण ने अनुरोध किया है कि पुनर्विचार याचिका (30 दिन की कानूनी अवधि के भीतर) दायर होने तक भूषण को सजा सुनाने की कल की कार्यवाही स्थगित की जाये।

वैकल्पिक स्थिति में, अगर न्यायालय भूषण को कल सजा सुनाने की कार्यवाही करता है तो उन्होंने अनुरोध किया है कि प्रस्तावित पुनर्विचार याचिका पर फैसला होने तक इस पर रोक लगायी जाये।

यह आवेदन अधिवक्ता कामिनी जायसवाल के माध्यम से दाखिल किया गया है।

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