एससी ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियो की माफी संबंधी फाइल 2 साल से राज्यपाल के पास लंबित होने पर नाराजगी व्यक्त की

न्यायालय को सूचित किया गया कि राज्यपाल के समक्ष ‘व्यापक साजिश’ का मामला है और उन्हें ‘सीबीआई की रिपोर्ट का इंतजार है
Rajiv Gandhi assassination, Supreme Court
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उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि वह राजीवगांधी हत्याकांड में दोषी एजी पेरारिवलन की सजा माफ करने की तमिलनाडु सरकार की सिफारिश दो साल से भी अधिक समय से राज्यपाल के पास लंबित होने से प्रसन्न नहीं है।

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन से कहा कि वह मालूम करें कि राज्यपाल ने अभी तक राज्य सरकार की सिफारिश पर फैसला क्यों नहीं लिया है।

श्रीनिवासन ने न्यायालय को सूचित किया कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के पास ‘व्यापक साजिश’ का मामला है और उन्हें ‘सीबीआई की रिपोर्ट का इंतजार है।’ इस पर न्यायालय ने कहा,

‘‘हम अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते लेकिन हम इस बात से प्रसन्न नही है कि कैसे राज्यपाल के पास दो साल से राज्य सरकार की सिफारिश लंबित है।’’

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि निलोफर निशा प्रकरण, इसी तरह की माफ करने की अधिसूचना से संबंधित, में न्यायालय ने कैदियों की रिहाई के लिये संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल किया था।

शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि माफी देना राज्यपाल का विशेषाधिकार है और यह दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नहीं होता है।

न्यायालय ने अब अधिवक्ता से कहा है कि वह उन मामलों और कानूनी पहलुओं को पेश करने के लिये कहा है कि उच्चतम न्यायालय राज्यपाल को कैसे निर्देश दे सकता है।

न्यायमूर्ति राव ने 2014 के शत्रुध्वन चौहान प्रकरण में सुनाये गये फैसले का हवाला दिया जिसमे शीर्ष अदालत ने अपनी व्यवस्था में कहा था कि दया याचिकायें पर समयबद्ध तरीके से फैसला करना होगा। उन्होंने एक और मामला उद्धृत किया जिसमे विधान सभा के बारे में राज्यपाल को निर्णय लेने के लिये कहा गया था।

अतिरिक्त सालिसीटर जनरल केएन नटराज ने न्यायालय से कहा कि ‘व्यापक साजिश’ का पहलू की जांच ब्रिटेन और श्रीलंका तक फैली हुयी है और केन्द्रीय जांच ब्यूरो इन देशों को भेजे गये अपने अनुरोध पत्रों के जवाब की प्रतीक्षा कर रही है।

इस पर न्यायमूर्ति राव ने सवाल किया,

‘‘व्यापक साजिश की जांच 20 साल से लंबित है और चल रही है। अभी भी आप ब्रिटेन आदि से अनुरोध पत्रों के जवाब के चरण पर ही हैं।?’’
एल नागेश्वर राव

पेरारिवलन को राजीव गांधी की हत्या की साजिश के शामिल होने के अपराध में मौत की सजा सुनाई गयी थी। उस पर आरोप था कि उसने ही गांधी की हत्या में प्रयुक्त विस्फोटक उपकरण के 9 वोल्ट की बैट्री सह-षड़यंत्रकारी शिवरासन को मुहैया करायी थी।

उच्चतम न्यायालय ने पेरारिवलन की मौत की सजा को 20 साल बाद फरवरी, 2014 उम्र कैद में तब्दील कर दिया था।

तमिलनाडु सरकार ने सितंबर, 2018 में पेरारिवलन को छह अन्य दोषियों के साथ रिहा करने के फैसले की घोषणा की थी।

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Supreme Court not happy with Governor sitting on Rajiv Gandhi assassination convict's remission file for two years

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