उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति रोहिंटन नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता की पदवी प्रदान करने के संबंध में शीर्ष अदालत द्वारा बनाये गये निर्देशों पर अमल के लिये वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह के आवेदन पर आज नोटिस जारी किए।
शीर्ष अदालत अब विचार करेगा कि क्या 2018 के दिशा निर्देशों के अनुरूप वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने की प्रक्रिया ऑनलाइन इंटरव्यू के साथ पुन:शुरू की जानी चाहिए।
इन्दिरा जयसिंह के आवेदन पर उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया गया है जिसका जवाब चार सप्ताह में देना है।
वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने इस साल अगस्त में न्यायालय में यह आवेदन दायर की किया था। इस आवेदन में उन्होंने इन्दिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट प्रकरण में 2017 के फैसले पर ठीक से अमल कराने का अनुरोध किया था। इस फैसले में ही एक वकील को वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत करने के बारे में दिशा निर्देश प्रतिपादित किये गये थे।
उच्चतम न्यायालय ने इस फैसले में शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता का गाउन प्रदान करने के लिये एक समान और मानकीकृत प्रक्रिया निर्धारित की थी।
इस फैसले के दस महीने बाद उच्चतम न्यायालय ने दिशा निर्देश अधिसूचित किये थे और इसी के अनुरूप वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनय के लिये समिति ने अगस्त, 2018 में आवेदन आमंत्रित किये थे। वरिष्ठ मनोनयन की प्रक्रिया का पहला दौर मार्च 2019 में 37 आवेदकों को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाने के साथ संपन्न हुआ था।
हालांकि, अगस्त 2018 से अगस्त 2020 के बीच इस समिति ने वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन के लिये कोई आवेदन आमंत्रित नहीं किये और उस समय से ही यह प्रक्रिया थमी हुयी है।
जयसिंह ने अपने आवेदन में कहा है कि इस विषय पर अधिसूचित दिशा निर्देशों के अनुसार जनवरी, 2019, जुलाई 2019, जनवरी, 2020 और जुलाई 2020 में इस बारे में आवेदन आमंत्रित किये जाने चाहिए थे।
आवेदन में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय ने 2017 के फैसले से अधिवक्ताओं को वरिष्ठ अधिवक्ता की पदवी प्रदान करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया था। इसे दिशा निर्देश जारी करके एकदम स्पष्ट कर दिया था। इसने वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन की प्रक्रिया में लंबे समय से चल रहे असंतुलन और विसंगति को दूर किया था।
जयसिंह ने इस पृष्ठभूमि में अपने आवेदन में अनुरोध किया है कि न्यायालय के फैसले के परिणामस्वप अधिसूचित किये गये दिशानिर्देशों पर अक्षरश: अमल किया जाना चाहिए।
‘‘इन्दिरा जयिसंह मामले में इस न्यायालय के फैसले पर अधिकांश उच्च न्यायालयों में अमल किया है। हालांकि, उच्चतम न्यायालय सिर्फ एक बार अगस्त, 2018 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद अपने ही फैसले और 2018 के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहा है। इसने बार के अनेक सदस्यों पर प्रतिकूल असर डाला है जो वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन के पात्र हैं।’’
महामारी से उत्पन्न स्थिति और इसकी वजह से सामने आयी बाध्यताओं को देखते हुये आवेदन मे कहा गया है कि जिस तरह न्यायालय अपने कर्तव्यों के निर्वहन और मुकदमों की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से कर रहा है, उसी तरह इलेक्ट्रानिक तरीके से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन की प्रारंभिक प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।
‘‘इस न्यायालय ने वैश्विक महामारी से उत्पन्न संकट के दौरान भी न्याय के दरवाजे खुले रखने का प्रशंसनीय काम है। इस न्यायालय ने आभासी प्रक्रिया के जरिये रोजना अनेक मामलों की सुनवाई करके अत्यधिक सराहनीय काम किया है और इसलिए इस आवेदन के माध्यम से अनुरोध किया जाता है कि वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनयन की प्रक्रिया के लिये भी यही तरीका अपनाया जा सकता हैं’’
यह आवेदन अधिवक्ता अनंदिता पुजारी ने तैयार किया और प्रस्तुत किया।
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