इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य में चिकित्सा सुविधाओं और चिकित्सा प्रणाली के संबंध में उत्तर प्रदेश में प्रचलित स्थिति पर एक मंद विचार रखा।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजीत कुमार की बेंच ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि एक मरीज संतोष कुमार का शव जो बाथरूम में गिर गया था और उसकी मौत हो गई थी, उसे अज्ञात शव के रूप में फेंक दिया गया था।
कोर्ट ने टिप्पणी कि, “यदि मेरठ जैसे शहर के मेडिकल कॉलेज में इलाज की यही स्थिति है तो छोटे शहरों और गांवों से संबंधित राज्य की पूरी चिकित्सा प्रणाली को एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत 'राम भरोसे' की तरह कहा जा सकता है।"
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