भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी में सुधा भारद्वाज ने मुंबई में विशेष एनआईए अदालत में एक आवेदन दायर कर अनुरोध किया है कि एनआईए के जवाब में उन पर लगाये गये आरोप वापस लिये जायें।
भारद्वाज ने आवेदन में एनआईए और विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी के उनके बारे में दिये गये बयानों में ‘गैर जिम्मेदाराना व्यवहार’ के लिये दोनों की निन्दा करने का आदेश पारित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने भविष्य में इस तरह के बयान देने से उन्हें रोकने का भी अनुरोध किया है।
उन्होंने अपने आवेदन में एनआईए को उनके खिलाफ लगाये गये आरोप वापस लेने का निर्देश देने और रिकार्ड में उपलब्ध मानहानिकारक बयानों को निकालने का भी अनुरोध किया है।
भारद्वाज ने दावा किया है कि एनआईए द्वारा दाखिल जवाब मानहानि कारक है और इसमे बेबुनियाद आरोप लगाये गये हैं। इस जवाब पर जांच अधिकारी और विशेष लोक अभियोजक के हस्ताक्षर हैं।
एनआईए द्वारा दाखिल जवाब में कहा गया है
‘‘ यह टिप्पणी करना महत्वपूर्ण है कि इस आवेदन के माध्यम से आरोपी सुधा भारद्वाज उपरोक्त गवाहों की पहचान उजागर कर रही हैं ताकि उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सके।’’
भारद्वाज ने कहा है कि एक विचाराधीन कैदी के रूप में निर्दोष मानने का सिद्धांत उनके पक्ष में है और एनआईए के बयान में कोई सबूत नहीं है और गवाहों को नुकसान पहुंचा जा सकता है।
उन्होंने कहा है कि अदालत को कानूनी दलीलों की आड़ में अफवाह और बदनाम करने का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए।
भारद्वाज ने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि अभियोजन को सिर्फ इसलिए उन पर ऐसे मानहानि कारक और बदनाम करने वाले आरोप लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वह एक आरोपी हैं।
इससे पहले, आज विशेष एनआईए अदालत ने एनआईए को निर्देश दिया कि भारद्वाज को गवाहों के संपादन रहित बयानों की प्रतियां उपलब्ध करायी जायें।
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