
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कॉमन लॉ एंट्रेंस टेस्ट-पोस्ट ग्रेजुएट (सीएलएटी-पीजी) के लिए एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार को सहायता के लिए एक लेखक रखने की अनुमति दे दी। [यश दोडानी एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य]
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने आदेश दिया कि यह सहायता तभी दी जाएगी जब लिपिक विधि या किसी मानविकी विषय का स्नातक न हो।
न्यायालय ने दृष्टिबाधित विधि छात्रों और स्नातकों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ताओं ने अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) और सीएलएटी जैसी विधिक परीक्षाओं के संचालन में प्रणालीगत भेदभाव और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम का अनुपालन न करने का आरोप लगाया है।
याचिकाकर्ताओं, जो दृष्टिबाधित हैं, ने इन परीक्षाओं के दौरान आवश्यक सुविधाओं तक पहुँचने में लगातार आने वाली बाधाओं को उजागर किया, जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और सीएलएटी आयोजित करने वाले अधिकारियों से बार-बार संपर्क करने का प्रयास किया गया।
न्यायालय ने 22 नवंबर को इस मामले में नोटिस जारी किया था, और संबंधित अधिकारियों से सभी प्रतियोगी विधि परीक्षाओं में स्क्राइब के लिए आवेदन करने की तिथि आज तक बढ़ाने को कहा था।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राहुल बजाज और संचिता ऐन उपस्थित हुए।
अधिवक्ता अक्षय अमृतांशु मोदी आज बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से उपस्थित हुए, और उनसे यह निर्देश प्राप्त करने को कहा गया कि क्या एआईबीई विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए कंप्यूटर आधारित हो सकता है।
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