78 बार स्थगित और पिछले सात वर्षों से लंबित एक मामले में आरोप तय नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निचली अदालत को जमकर फटकार लगाई। (डॉ अतुल कृष्णा बनाम उत्तराखंड राज्य)
आदेश में कहा गया है, "हमने देखा है कि ट्रायल कोर्ट ने लगभग सात साल पहले संज्ञान लेने के बावजूद मामले में 78 स्थगन के बावजूद आरोप तय करने सहित मामले में एक इंच भी आगे नहीं बढ़ाया।"
जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की बेंच ने निचली अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि आदेश के छह महीने के भीतर मामला समाप्त हो जाए।
ये टिप्पणियां ऐसे मामले में आईं जहां प्रतिवादी जमानत पर रिहा हो गए लेकिन सेवा के बावजूद निचली अदालत के समक्ष पेश नहीं हो रहे थे।
अदालत ने प्रतिवादियों को मुकदमे में पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया और निचली अदालत को उनकी जमानत रद्द करने की अनुमति दी, अगर वे ऐसा करने से इनकार करते हैं।
हालांकि, बेंच ने यह भी जरूरी पाया कि ट्रायल कोर्ट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि मामला बिना किसी देरी के आगे बढ़े।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे, अधिवक्ता विवेक सिंह और अधिवक्ता केके सिंह ने किया।
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Supreme Court comes down on trial court for not framing charges in case despite 78 adjournments