उच्चतम न्यायालय ने आज कोविड-19 से संक्रमित एक अभ्यर्थी को पृथक केन्द्र में सीएलएटी की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति प्रदान कर दी।
न्यायालय ने अभ्यर्थी की वकील गरिमा प्रसाद को निर्देश दिया कि वह इस आदेश की प्रति 12 बजे से पहले ही सीएलएटी की परीक्षा का आयोजन कर रहे प्राधिकारियों को सौंपे ताकि आज कानून के पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिये आज होने वाली प्रवेश परीक्षा में शामिल होने में उसे मदद मिल सके।
न्यायालय ने आवेदक को आदेश दिया कि वह परीक्षा केन्द्र मे बाकी अभ्यर्थियों के प्रवेश करने के बाद भीतर जायेगा और पहले परीक्षा केन्द्र से बाहर निकलेगा।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘केन्द्र के अधीक्षक जिले के सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी या अधीक्षक से आवश्यक सहायता के लिये मेडिकल स्टाफ उपलब्ध कराने का अनुरोध कर सकते हैं।
हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सिर्फ इस आवेदक तक ही सीमित है और किसी अन्य छात्र से इसका कोई संबंध नहीं है।
अधिवक्ता सुमित चंदर ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह इसी तरह के दूसरे अभ्यर्थियों के लिये भी इसी तरह का अंतरिम आदेश पारित करें। पीठ ने इस तरह का सामान्य आदेश पारित करने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति भूषण ने अधिवक्ता से कहा, ‘‘आप सिर्फ न्यायालय का समय बर्बाद कर रहे हैं।’’
न्यायालय में दायर आवेदन में आवेदक ने कहा था कि उसे ऐसा भरोसा था कि सीएलएटी के परीक्षा केन्द्र में कोविड-19 के लक्ष्मण वाले अभ्यर्थियों के लिये अलग केन्द्र होंगे।
आवेदक ने कहा था कि उसे एनएलएसआईयू, बेंगलुरू के कुलपति ने इस साल जुलाई मे एक सार्वजनिक वक्तत्य में इस बारे में आश्वासन दिया था।
ओवदक छात्र ने कहा कि हालांकि नये जारी किये गये निर्देशों में कसोर्टियम ने ऐसे छात्रों को शामिल नही किया जो पृथकता में और इस वजह से आवेदक को प्रवेश परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नही मिलेगी।
‘‘नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज की कंसोर्टियम के रूख में अचानक आये इस बदलाव के कारण आवेदक को संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त समता के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है और उसे 28 सितंबर को हो रही परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाये क्योंकि इसके अलावा किसी भी अन्य छात्र की तरह उसे इसमे शामिल होने की पात्रता रख है।’’
इस आकस्मिक परिस्थिति का जिक्र करते हुये आवेदक ने उच्चतम न्यायालय में आवेदन दायर कर अपने 21 सितंबर के फैसले में एक स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया था। इस फैसले में न्यायालय ने अन्य बातों के अलावा सीएलएटी 2020 को निदेश दिया था कि यह परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कोविड-19 के मद्देनजर संबंधित मंत्रालयों द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप ही आयोजित की जायेगी ।
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