सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के एक न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया जिसमे मामलों की लिस्टिंग के संबंध में शीर्ष अदालत के रजिस्ट्री अधिकारियों के कथित रूप से अव्यवसायिक और पक्षपातपूर्ण आचरण के लिए कार्रवाई की मांग की गयी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि लिस्टिंग सुप्रीम कोर्ट के नियमों के विपरीत नहीं हो सकती।
पीठ ने अपने संक्षिप्त आदेश मे कहा, ''खारिज”
वाशिम के एक सिविल जज (सीनियर डिवीजन) सैयदुल्लाह खलीलुल्लाह खान की याचिका में आरोप लगाया गया था कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री सभी याचिकाकर्ताओं के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं कर रही थी।
उन्होंने कहा कि सूची में देरी और अनावश्यक दोषों को उजागर करके उनके और अन्य साधारण वादियों से अनुचित व्यवहार किया जा रहा था।
यह याचिका विशेष रूप से अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम भारत संघ के शीर्ष अदालत के 2002 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग के मामले में उनके द्वारा दायर एक क्यूरेटिव याचिका के संदर्भ में की गई थी।
उनके द्वारा अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ के पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिका को शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था और इसलिए बर्खास्तगी के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की गई थी। इसके बाद, खान द्वारा एक उपचारात्मक याचिका दायर की गई थी, लेकिन रजिस्ट्री ने 22 दिनों तक याचिका की जांच नहीं की, हालांकि रजिस्ट्री द्वारा उजागर किए गए दोषों को खान द्वारा ठीक किया गया था
इसलिए, उन्होंने वर्तमान याचिका दायर कर रजिस्ट्री अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
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