पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई स्थगित करने से एससी का इंकार, कहा: ‘‘मामला बहुत महत्वपूर्ण है’’

फरवरी, 2020 में दायर की गयी इस याचिका की सुनवाई पहले भी याचिकाकर्ता के अनुरोध पर दो बार स्थगित की जा चुकी थी
Narendra Modi and former BSF Jawan Tej Bahadur
Narendra Modi and former BSF Jawan Tej Bahadur
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उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 2019 में वाराणसी संसदीय सीट से निर्वाचन को चुनाव को चुनौती देने वाले सीमा सुरक्षा बल के पूर्व जवान तेज बहादुर की याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने मामला स्थगित करने या इसे बाद में लेने का याचिकाकर्ता का बार बार किया गया अनुरोध ठुकराया और यह कहते हुये इसमें आगे सुनवाई की कि यह मामला लंबे समय से लटका हुआ है और यह ‘बहुत ही महत्वपूर्ण’ है।

सीजेआइ बोबडे ने कहा, ‘‘यह मामला काफी समय से चल रहा है। हम आपको अब बहस करने के लिये समय दे रहे हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। कृपया बहस कीजिये, इस मामले में सुनवाई लंबे समय तक स्थगित होती रही है।’’

न्यायालय ने इससे पहले याचिकाकर्ता के अनुरोध पर दो बार इसकी सुनवाई स्थगित की थी।

तेज बहादुर ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी से उसका नामांकन रद्द किये जाने को चुनौती दी थी। बहादुर ने शुरू में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में इसमें सपा उम्मीदवार के नामांकन के रूप में बदलाव कर दिया था।

रिटर्निग अधिकारी ने उसका नामांकन पत्र इसलिए रद्द कर दिया था क्योंकि वह यह प्रमाण पत्र पेश करने में असफल रहा था कि उसे भ्रष्टाचार या विश्वासघात के कारण बीसीएफ से बर्खास्त नहीं किया गया। भ्रष्टाचार या विश्वासघात के आधार पर सेवा से बर्खास्तगी होने पर ऐसा व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है।

बहादुर ने नामांकन पत्र रद्द किये जाने को चुनोती दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आसान जीत दिलाने के लिये इस तरह का निर्णय लिया गया।

तेज बहादुर का तर्क था कि रिटर्निंग अधिकारी इस तथ्य का संज्ञान लेने में विफल रहे कि उसने नामांकन पत्र दाखिल करते समय अपनी बर्खास्ती संबंधी पत्र पेश किया था। बहादुर का दावा था कि बर्खास्तगी के पत्र में स्पष्ट लिखा था कि उसे कथित अनुशासनहीनता के आधार पर बर्खास्त किया गया है न कि भ्रष्टाचार या शासन के प्रति विश्वासघात के कारण। इसलिए, यह साबित करने के लिये किसी अतिरिक्त प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं थी कि उसे भ्रष्टाचार या विश्वासघात के कारण बर्खास्त नहीं किया गया है।

तेज बहादुर को अप्रैल 2017 में सीमा सुरक्षा बल से बर्खास्त कर दिया गया था। इससे पहले, उसका अपने मोबाइल से तैयार एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे वह जवानों को घटिया खाना दिये जाने के बारे में शिकायत कर रहा था।

उसने मई, 2019 में अपना नामांकन पत्र रद्द किये जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन न्यायालय ने इसमें हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था।

इसके बाद, तेज बहादुर ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जिसने विस्तार से इस पर सुनवाई के बाद दिसंबर, 2019 में इसे खारिज कर दिया।

तेज बहादुर ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ फरवरी, 2020 में शीर्ष अदालत मे मौजूदा अपील दायर की थी।

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"Matter too important," Supreme Court refuses adjournment, pass-over in plea against election of PM Narendra Modi, reserves verdict

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