जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि प्रकाशन या विचारों के प्रसारण पर पूर्व संयम लगाने में परिवृत्त होना पड़ता है।
न्यायालय ने, हालांकि, केंद्र, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और सुदर्शन न्यूज को नोटिस जारी किए।
आदेश पढ़ते हैं
एडवोकेट फिरोज इकबाल खान ने कोर्ट का रुख किया था, जिसमे कहा कि शो के प्रदर्शन से यह साबित होता है कि आज प्रसारित होने वाला कार्यक्रम सिविल सेवाओं के पेशे में प्रवेश करने वाले मुसलमानों के लिए अपमानजनक होगा।
याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया कि कार्यक्रम के दौरान विचारों का प्रसारण केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 और आचार संहिता व समाचार प्रसारण मानक विनियम के तहत कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन करेगा।
प्रसारण पूर्व प्रतिबंध लगाने से सुप्रीम कोर्ट के इनकार के विपरीत, दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नवीन चावला ने आज सुदर्शन न्यूज़ द्वारा शो के प्रसारण पर रोक लगा दी, जिसका दावा है कि सिविल सेवाओं में "मुसलमानों की घुसपैठ" पर एक "पर्दाफाश" होना था।
चैनल के एडिटर-इन-चीफ सुरेश चव्हाणके द्वारा शेयर किए गए शो के प्रोमो में हैशटैग ’यूपीएससी जिहाद’ के साथ कई तिमाहियों से आलोचना की गई है।
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