उच्चतम न्यायालय का दिल्ली रेलवे लाइन के साथ बनी 48,000 झुग्गियां हटाने का आदेश, स्मॉग टावर्स 10 महीने में होंगे पूरे

न्यायालय ने दिल्ली में 140 किमी रेल लाइन के साथ बनी 48000 झुग्गियो, अस्थाई मकानो को हटाने का आदेश के साथ निर्देश दिया कि इसके बाद प्रक्रिया को रोकने के लिये पारित कोई भी अंतरिम आदेश निष्प्रभावी होगा
Justices Arun Mishra, BR Gavai and Krishna Murari
Justices Arun Mishra, BR Gavai and Krishna Murari
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उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के आसपास 140 किमी की रेल लाइन के साथ बनी 48,000 झुग्गियों को तीन महीने के भीतर हटाने का कल आदेश दिया। (एमसी मेहता बनाम भारत संघ)

उच्चतम न्यायालय ने कल सेवानिवृत्त हुये न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा के अंतिम फैसलों में यह फैसला था। न्यायमूर्ति मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ ने इन झुग्गियों को हटाने का आदेश देते हुये कहा कि ये रेलवे के सुरक्षित क्षेत्र में अतिक्रमण है।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने यह भी कहा कि रेलवे लाइन के साथ अतिक्रमण हटाने के मामले में कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है तो ऐसा आदेश प्रभावी नहीं होगा।

‘‘सुरक्षित क्षेत्र मे अतिक्रमण तीन महीने के भीतर हटाया जाना चाहिए और इसमें किसी तरह का राजनीतिक या अन्य किस्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए और कोई भी अदालत इस क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने के मामले में कोई रोक नहीं लगायेगी। इन अतिक्रमण के संबंध में, जो रेलवे साइन के साथ किया गया है, अगर कोई अंतरिम आदेश दिया जाता है तो वह प्रभावी नहीं होगा।’’
उच्चतम न्यायालय

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में की गयी कार्रवाई की जानकारी एक महीने के भीतर न्यायालय को दी जाये।

न्यायालय ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण की रिपोर्ट और रेलवे के जवाब से संकेत मिलता है कि "अभी तक इस मामले में कुछ नहीं किया गया है और वहीं कचरा एकत्र हो रहा है और उसी क्षेत्र में अनधिकृत रूप से आबादी भी हो गयी है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।"

रेलवे ने न्यायालय में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र में 140 किमी लंबी रेल लाइन के साथ बड़ी संख्या में झुग्गियां हैं। इस क्षेत्र से ही रेलवे लाइन विभिन्न दिशाओं में जाती है और इन सभी रूट को जोड़ने वाली रिंग भी यहीं है।

इसमे से करीब 70 किमी लंबी रेल लाइन के साथ ही बड़ी झुग्गी झोंपड़ी बस्तियां हैं। इन बस्तियों में करीब 48,000 झुग्गियां हैं।

पीठ ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि निश्चित ही इसमें ‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ जिसने पहले भी इन अतिक्रमणों को हटाने के काम को प्रभावित किया था। साथ ही पीठ ने कहा,

‘‘राष्ट्रीय हरित अधिकरण के एक अक्ट्रबर, 2018 के आदेश और निर्देशों के अनुरूप रेलवे की संपत्ति से अतिक्रमणों को हटाने के लिये रेलवे पहले ही विशेष कार्य बल का गठन कर चुका है। ऐसा लगता है कि इन अतिक्रमणों को हटाने के खिलाफ किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप है जो इसमें रोड़ा बन रहा है।’’

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि तीन महीने के भीतर प्लास्टिक के बैग और कूड़ा आदि हटाने के बारे में एक कार्य योजना पर अमल किया जाये। न्यायालय ने अपनी व्यवस्था में कहा कि इस संबंध में रेलवे, दिल्ली सरकार और संबंधित नगर निगम तथा दिल्ली शहरी आवास सुधार ट्रस्ट (डीयूआईएसबी) जैसे सभी हितधारकों को अगले सप्ताह बैठक बुलाकर तत्काल काम शुरू किया जाये। न्यायालय ने इस आदेश में आगे कहा,

‘‘इस काम पर आने वाले खर्च का 70 फीसदी रेलवे ओर 30 फीसदी राज्य सरकार वहन करेगी। इस काम के लिये एसडीएमसी, रेलवे और सरकार के पास उपलब्ध एजेन्सियां, नि:शुल्क, श्रमिक उपलब्ध करायेंगे और वे एक दूसरे से कोई शुल्क नहीं लेंगे। एडीएमसी, रेलवे और अन्य एजेन्सियां यह सुनिश्चित करेंगी कि उनके ठेकेदार रेलवे लाइन के किनारे कचरा और मलबा नहीं डालें।“

इसी से संबंधित एक अन्य मामले में न्यायालय को सूचित किया गया कि राजधानी में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये स्थापित होने वाले स्मॉग टावर्स का निर्माण दस महीने के भीतर हो जायेगा।न्यायालय ने इस बारे में अपने आदेश में कहा,

‘‘किसी भी वजह से इन आदेशों के उल्लंघन को इस न्यायालय की अवमानना माना जायेगा क्योंकि पहले ही आदेश के अनुपालन में काफी विलंब हो चुका है।"

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Supreme Court orders removal of 48,000 jhuggies along Delhi railway tracks; smog towers to be completed within 10 months

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