सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई की याचिका पर यूपी सरकार से जवाब मांगा

Siddique Kappan with Supreme Court
Siddique Kappan with Supreme Court
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केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की रिहाई की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार और यूपी पुलिस से जवाब मांगा। जिसे गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया और आरोपित किया गया था।

केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) द्वारा दायर याचिका मे मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को इस सप्ताह शुक्रवार के लिए सुनवाई के लिए तय किया ।

याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का दावा करते हुए कप्पन की नज़रबंदी को चुनौती दी है।

इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने हैबियस कॉर्पस याचिका को स्थगित कर और याचिकाकर्ताओं को पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संशोधित याचिका दायर करने के लिए भी कहा था।

हालांकि, केयूडब्ल्यूजे ने सोमवार को अदालत को सूचित किया कि न केवल उच्च न्यायालय में मामला आगे बढ़ चुका है, बल्कि कप्पन को अपने वकीलों से भी मिलने का अवसर नहीं मिला।

सीजेआई बोबडे ने याचिकाकर्ता-संगठन के लिए पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा, "आपने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया?"

न्यूज पोर्टल www.azhimukham.com के साथ काम करने वाले पत्रकार कप्पन को उत्तर प्रदेश के हाथरस के पास एक टोल प्लाजा पर गिरफ्तार किया गया। जब वह 19 वर्षीय दलित महिला के भयानक सामूहिक बलात्कार और उसके बाद के दाह संस्कार को कवर करने के लिए अपने रास्ते पर था।

केयूडब्ल्यूजे द्वारा वकील श्वेता गर्ग के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि गिरफ्तारी कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल के डीके बसु बनाम राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।

याचिका में हाथरस की घटना को कवर करने वाले पत्रकारों के लिए समान पहुँच के लिए भी एक मामला बनाया गया है।

"लोकतंत्र की अंतिम परीक्षा भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निहित है। मीडिया लोकतंत्र की सांस है। रिपोर्टिंग के लिए नागरिकों के गरिमापूर्ण जीवन से जुड़े समाचारों के स्थान तक पत्रकारों की पहुंच का खंडन संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ए) और 21” का घोर उल्लंघन है।"

इसलिए याचिकाकर्ता संघ ने कप्पन की तत्काल रिहाई की मांग की है।

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Supreme Court seeks UP govt response in plea seeking release of journalist Siddique Kappan

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