सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक वीडियो में अनुसूचित जाति समुदायों के खिलाफ जातिवादी गाली का इस्तेमाल करने के लिए टीवी धारावाहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' में अभिनय करने वाले अभिनेता मुनमुन दत्ता के खिलाफ दर्ज छह प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) में से पांच पर रोक लगा दी। (मुन मुन दत्ता बनाम हरियाणा राज्य)।
इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में 'भंगी' शब्द का इस्तेमाल करने के लिए दत्ता के खिलाफ विभिन्न राज्यों में धारा 3(1)(यू) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत छह प्राथमिकी दर्ज की गईं।
प्राथमिकी हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में दर्ज की गई थी।
हरियाणा में एक को छोड़कर उन सभी एफआईआर पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी थी।
अदालत ने सभी प्राथमिकी को हरियाणा के हांसी में दत्ता के खिलाफ दर्ज पहली प्राथमिकी के साथ जोड़ दिया।
कोर्ट ने आदेश दिया, सभी एफआईआर को पहली एफआईआर के साथ जोड़ा जाए जो थाना हांसी सिटी, जिला हांसी, हिसार में दर्ज की गई थी। इस बीच, गुजरात, मध्य प्रदेश, नई दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश राज्यों में दर्ज प्राथमिकी की कार्यवाही पर रोक रहेगी।
हरियाणा के हांसी शहर में दत्ता के खिलाफ प्राथमिकी दलित मानवाधिकारों के लिए राष्ट्रीय गठबंधन के संयोजक रजत कलसन की शिकायत पर दर्ज की गई थी।
इसलिए कोर्ट ने कलसन को नोटिस जारी किया।
इस पर पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि "यह सही अर्थ नहीं था।"
पीठ ने आगे सवाल किया कि क्या दत्ता को एक महिला के रूप में "समान या बेहतर अधिकार" होंगे।
पीठ ने याचिका में नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि पांच प्राथमिकी को एक में शामिल कर दिया जाए।
उन्होंने एक बयान में कहा था, जिसे उन्होंने हिंदी में भी साझा किया, यह एक वीडियो के संदर्भ में है जिसे मैंने कल पोस्ट किया था जिसमें मेरे द्वारा इस्तेमाल किए गए एक शब्द का गलत अर्थ निकाला गया था। इसे अपमान, डराने, अपमानित करने या किसी की भावनाओं को आहत करने के इरादे से कभी नहीं कहा गया था। मेरी भाषा की बाधा के कारण मुझे वास्तव में इस शब्द के अर्थ के बारे में गलत जानकारी दी गई थी।
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