
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को एमपी नर्सिंग काउंसिल द्वारा 2019-2020 में 33 नर्सिंग संस्थानों को दी गई मान्यता में “अनियमितताओं” की जांच करने का निर्देश दिया गया था। [प्रेस्टन कॉलेज जरिए निदेशक श्री प्रबोध त्रिपाठ बनाम मध्य प्रदेश राज्य]
भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने उस याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा, जिसमें उच्च न्यायालय के इस निष्कर्ष को चुनौती दी गई थी कि एमपी नर्सिंग काउंसिल ने इन संस्थानों को मान्यता देने के मामले में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितता की है।
उच्च न्यायालय के 18 सितंबर के आदेश में दर्ज किया गया था, "हम प्रथम दृष्टया संतुष्ट हैं कि अधिकारियों ने अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के विपरीत मूर्खतापूर्ण तरीके से काम किया है।"
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रोहित आर्य और न्यायमूर्ति मिलिंद रमेश फड़के की पीठ ने पाया कि बुनियादी ढांचे और रसद की कमी वाले संस्थानों को कॉलेज चलाने और बड़ी संख्या में असत्यापित व्यक्तियों को छात्रों के रूप में स्वीकार करने की अनुमति थी।
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