सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह इस बात की जांच करेगा कि तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (TASMAC) द्वारा चलाए जा रहे बार शराब की बिक्री को नियंत्रित करने के राज्य सरकार के संप्रभु कार्य के तहत हैं या नहीं। [TASMAC बनाम प्रधान जीएसटी आयुक्त]।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने मद्रास उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ TASMAC द्वारा दायर अपील में अनुमति दे दी, जिसने फैसला सुनाया था कि शराब बेचने वाले TASMAC आउटलेट्स से जुड़े ऐसे बार, सेवा कर कानूनों के तहत कर योग्य हैं।
उच्च न्यायालय ने मामले में एक ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील में निर्देश दिया था कि जुलाई 2012 से मार्च 2013 तक की अवधि के लिए सेवा कर के रूप में ₹40 करोड़ का भुगतान किया जाए।
इस प्रकार इन सलाखों को चलाना TASMAC की वैधानिक शक्तियों का हस्तांतरण है।
इसका संचालन संचालन निविदा द्वारा तीसरे पक्ष के ठेकेदारों को दिया गया था क्योंकि इसमें स्वच्छता रखरखाव के अलावा अन्य चीजें जैसे पानी, खाने-पीने का सामान आदि बेचना शामिल था।
चूंकि तमिलनाडु शराब खुदरा बिक्री नियम ऐसे सलाखों के लिए प्रदान करते हैं, केवल एक निजी पार्टी के माध्यम से उसी के मामलों का संचालन करने से गतिविधि की प्रकृति नहीं बदलेगी।
इसलिए, यह राज्य के संप्रभु कार्य के लिए एक सहायक गतिविधि बनी रहेगी।
यह भी बताया गया कि सीमा शुल्क उत्पाद और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (सीईएसटीएटी) ने कहा था कि हाल के एक ज्ञापन के मद्देनजर, ठेकेदारों को भुगतान किए गए कमीशन पर केवल 1 प्रतिशत सेवा कर देय होगा।
TASMAC की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने तर्क दिया कि ऐसे बार आवश्यक हो गए थे ताकि लोगों के पास पार्कों और सामुदायिक स्थानों में बाढ़ के बजाय पीने के लिए जगह हो।
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