![[तब्लीगी जमात] लखनऊ कोर्ट ने 7 विदेशियों और 11 भारतीयों को COVID मानदंडों के उल्लंघन के आरोपों से बरी किया](https://gumlet.assettype.com/barandbench-hindi%2F2021-02%2Fbbf4751b-b53e-49f9-ac49-89b9f7f16ff4%2Fbarandbench_2021_02_ea0539cb_eef5_4b7f_8792_1047b0d3a3f6_Tablighi_Jamaat__Sessions_Court__Lucknow.jpg?auto=format%2Ccompress&fit=max)
लखनऊ के सत्र न्यायालय ने 18 लोगों, जिनमें से 11 भारतीय और इंडोनेशिया के 7 विदेशी को बरी कर दिया है, जिन पर जानबूझकर दिल्ली में निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात धार्मिक मण्डली में शामिल होकर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप था। (मोहम्मद अहमद बनाम राज्य)
आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा) 269 (उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फैलना संभाव्य हो), 270 (घातक बीमारी जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की संभावना), 270 (घातक बीमारी जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की संभावना) और 271 (क्वारंटीन के नियम की अवज्ञा), महामारी रोग अधिनियम की धारा 3 और विदेशी अधिनियम की धारा 14 (बी) (जाली पासपोर्ट का उपयोग करने पर जुर्माना) के तहत अपराध दर्ज किया गया था ।
न्यायालय ने पाया कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं था कि अभियुक्त ने किसी क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन किया है।
सभी आरोपियों को आपराधिक प्रकरण संख्या 0047/2020 थाना शाहगंज, जिला प्रयागराज मे भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 269, 270, 271, धारा 14(B) विदेशी अधिनियम और महामारी अधिनियम की धारा 3 के तहत लगाए गए अपराधों के आरोप से बरी कर दिया गया है।
आरोपी की ओर से अधिवक्ता जिया जिलानी पेश हुईं। यह कहा गया कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं था कि आरोपी की ओर से वायरस फैलाने का कोई मकसद था, क्योंकि आरोपी ने स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों का पालन किया था।
अदालत ने उसी अवलोकन को स्वीकार किया कि समाचार पत्रों और समाचार चैनलों पर चलने वाली किसी भी खबर को लोक सेवक द्वारा आदेश के रूप में श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।
केस डायरी ने समाचार पत्रों और समाचार चैनलों पर चल रही समाचार रिपोर्टों के आधार पर आरोपियों द्वारा कोविड -19 परीक्षण की अनुपस्थिति का वर्णन किया था।
विदेशियों द्वारा धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने के मुद्दे पर अदालत ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर जाने और सामान्य धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने पर तब तक कोई प्रतिबंध नहीं है जब तक धार्मिक विचारधाराओं का प्रचार नहीं किया जाता, तब तक धार्मिक स्थलों पर भाषण देना, धार्मिक विचारधाराओं से संबंधित ऑडियो या दृश्य प्रदर्शन का वितरण, धर्मांतरण फैलाना आदि कार्य नहीं किए जाते।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
[Tablighi Jamaat] Lucknow Court acquits 7 foreigners and 11 Indians accused of violating COVID norms