कैंब्रिज यूनिवर्सिटी मे भाषण को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज करने की BJP नेता की याचिका को वाराणसी कोर्ट ने खारिज किया

न्यायालय ने पाया कि गांधी द्वारा दिए गए बयान संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में थे।
Rahul Gandhi
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वाराणसी की एक अदालत ने इस महीने की शुरुआत में कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अपने भाषण को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।

याचिका भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य, वकील शशांक शेखर त्रिपाठी नेता द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय में उनके भाषण के दौरान गांधी के बयान विभाजनकारी और भारत के संविधान की भावना के खिलाफ थे।

आवेदन में गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 147 (दंगा करने की सजा), 153 ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और 295 (पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है।

न्यायाधीश उज्ज्वल उपाध्याय ने भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली धारा 156 सीआरपीसी आवेदन को खारिज कर दिया और कहा कि गांधी द्वारा दिए गए बयान संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में थे।

त्रिपाठी ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया था कि गांधी ने देश की एकता और संप्रभुता के खिलाफ बयान दिए और एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना आतंकवादी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की, जिससे 10 करोड़ से अधिक स्वयंसेवकों की भावनाएं आहत हुईं.

इसने यह भी आरोप लगाया कि गांधी के बयानों ने जाति, धर्म आदि के आधार पर देश के लोगों को विभाजित करने की साजिश रची और उनके बयानों को नफरत फैलाने वाला भाषण माना गया।

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Varanasi court dismisses BJP leader's plea to register case against Rahul Gandhi for his Cambridge University speech

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