लखनऊ की एक अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में 30 सितंबर को फैसला सुनाने की तारीख निश्चित की है।
इस मामले में 32 आरोपी हैं जिनमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह शामिल हैं।
न्यायधीश के सुरेंद्र कुमार यादव की अध्यक्षता में लखनऊ की एक विशेष अदालत ने आदेश की घोषणा के संबंध मे आज फैसला सुनाया।
विशेष अदालत ने फैसले के दिन सभी आरोपी व्यक्तियों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
यह सत्र अंतर्गत धारा 147/153-ए / 153-बी / 295/295-ए / 505 आईपीसी, 149 और 120-बी आईपीसी के अपराध के लिए आयोजित की गयी थी।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायालय ने दिन-प्रतिदिन के आधार पर की।
यह मामला 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों द्वारा अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस को संदर्भित करता है, जो मानते थे कि यह स्थल भगवान राम की जन्मभूमि है।
इसके कारण दो अलग-अलग एफआईआर संख्या 197/1992 और 198/1992 दर्ज हुईं। एफआईआर संख्या 197/1992 संरचना के विध्वंस के लिए बिना नाम के कारसेवकों के खिलाफ थी, जबकि एफआईआर संख्या 198/1992 संरचना के विध्वंस के लिए भाजपा के आठ नेताओं के खिलाफ दर्ज की गयी थी।
बाद में मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया गया था।
अप्रैल 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक षड्यंत्र के लिए आडवाणी, जोशी, उमा भारती और अन्य नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दी थी।
कोर्ट ने तब निर्देश दिया था कि ट्रायल दो साल के भीतर समाप्त हो जाना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2020 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में मुकदमे की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने की समयसीमा को बढ़ा दिया था।
यह समय सीमा 30 सितंबर को समाप्त हो रही है।
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्षकारों के पक्ष में फैसला सुनाया था और अयोध्या में विवादित स्थल को हिंदुओं के पक्ष में रखने का फैसला किया था और सरकार को निर्देश दिये कि वह मस्जिद के निर्माण के लिए मुस्लिम पक्षकारों को पाँच एकड़ का एक अलग स्थल प्रदान करे।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि मुस्लिम विवादित जगह पर निर्बाध कब्जे को साबित करने में विफल रहे हैं और संभावनाओं के संतुलन के आधार पर, हिंदू पक्षकारों के पक्ष में फैसला किया।
शीर्ष अदालत ने फिर यह भी स्वीकार किया कि बाबरी मस्जिद को गिराने का कार्य अवैध था।
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