
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मध्य प्रदेश के दो पत्रकारों के पक्ष में कोई भी अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया, जिन्होंने पुलिस अधीक्षक (एसपी) असित यादव सहित भिंड पुलिस पर हिरासत में हिंसा, जाति-आधारित दुर्व्यवहार और जान को खतरा होने का आरोप लगाया है। [शशिकांत जाटव @ शशिकांत गोयल और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य]
न्यायमूर्ति संजय करोल और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि जब तक न्यायालय को दोनों पत्रकारों शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान के खिलाफ अपराध की वास्तविक प्रकृति के बारे में नहीं बताया जाता, तब तक वह दोनों को गिरफ्तारी से संरक्षण देने के लिए कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, "मान लीजिए कि आपने हत्या जैसा अपराध किया है, तो क्या हम आपको कोई बलपूर्वक संरक्षण आदेश नहीं दे सकते? हमें यह जानना होगा कि पुलिस किस तरह के अपराध का आरोप लगा रही है।"
न्यायमूर्ति करोल ने कहा, "आपको हमें यह बताना चाहिए था कि आपने पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। आपने पिछले दिनों जो कहानी गढ़ी थी... वह याचिका में नहीं आई है। आपने कहा है कि आपको दिन-रात अपनी जान का खतरा है।"
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता वारिशा फरासत ने कहा कि चूंकि यह मामला मध्य प्रदेश से जुड़ा है, इसलिए दिल्ली उच्च न्यायालय के पास इस मामले से निपटने का अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि पुलिस अधीक्षक असित यादव, जिनके विरुद्ध आरोप लगाए गए हैं, को याचिका में पक्षकार के रूप में नहीं जोड़ा गया है।
न्यायमूर्ति शर्मा ने टिप्पणी की, "आईपीएस अधिकारी के विरुद्ध आरोप लगाना तथा काले और सफेद रंग में आरोप लगाना बहुत आसान है।"
फरासत ने अनुरोध किया, "यदि आप मुझे सोमवार तक गिरफ्तारी से बचा सकते हैं।"
पीठ ने कहा, "मान लीजिए कि आप हत्या के दोषी हैं, तो हम क्या करेंगे? हमें यह देखना होगा कि आपके विरुद्ध क्या है। खेद है कि हम अभी आपको नहीं बचा सकते।"
इसके पश्चात इसने राज्य को नोटिस जारी किया तथा मामले को आगे के विचार के लिए 9 जून को सूचीबद्ध किया।
दोनों पत्रकारों के लिए तत्काल सुरक्षा की मांग करते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत रिट याचिका दायर की गई थी।
जाटव तथा चौहान ने आरोप लगाया कि एसपी यादव तथा उनके अधीनस्थों द्वारा उनका अपहरण किया गया, हिरासत में उनके साथ मारपीट की गई तथा उन्हें जातिवादी गालियां दी गईं।
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Why Supreme Court refused relief to journalists who alleged assault, threat to life from MP Police