बढ़ते कोरोनोवायरस मामलों के मद्देनजर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई है कि इस साल प्रयागराज माघ मेले के दौरान गंगा नदी में डुबकी लगाने वाले भक्तों की संख्या को सीमित किया जाए।
उत्कर्ष मिश्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में धार्मिक सभाओं को पूरे देश में घातक वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार पाया गया।
याचिका में अदालत से मेला में भागीदारी को सीमित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि केवल 'अखाड़ों' के संतों को शाही स्नान की तारीखों पर पवित्र डुबकी लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि उन शुभ तिथियों पर भक्तों की भारी भीड़ को रोका जा सके।
याचिका मे कहा गया है कि, "यहां यह उल्लेख करना उचित है कि मेले में भक्तों का प्रमुख आगमन इन शुभ तिथियों पर होता है। ... क्योंकि शाही स्नान की तिथियों पर 'अखाड़ों' के संतों को पवित्र स्नान करने की अनुमति देने से इन शुभ तिथियों पर भक्तों की भारी भीड़ को रोका जा सकेगा।"
यह भी प्रार्थना की गई कि आने वाले श्रद्धालुओं के आगमन पर आरटी-पीसीआर जांच अनिवार्य की जाए।
यह आगे प्रस्तुत किया गया था कि COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान आयोजित हरिद्वार के कुंभ मेले के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में संक्रमण हुए और इस प्रकार विभिन्न 'अखाड़ों' के संतों द्वारा स्वेच्छा से बंद कर दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि कुंभ के दर्शन कर अपने मूल स्थानों पर लौटे श्रद्धालुओं को सुपर स्प्रेडर पाया गया।
यह भी कहा गया, "कोविड-19 की तीसरी लहर के मद्देनजर इतने बड़े पैमाने पर आयोजन से प्रयागराज के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के निवासियों को भी अनावश्यक जोखिम में डाला जा रहा है और माघ मेला का आयोजन बहुत ही धार्मिक महत्व का है और सभी तैयारियों अर्थात शिविरों की स्थापना, बिजली, पानी और साफ-सफाई का काम पहले ही किया जा चुका है और इसलिए इस समय धार्मिक आयोजन को रद्द करना उचित नहीं है।"
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Magh Mela 2022: Plea before Allahabad High Court to limit devotee participation in view of COVID