

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने मंगलवार को महाराष्ट्र में म्युनिसिपल काउंसिल, नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों की वोटों की गिनती और नतीजों की घोषणा को 3 दिसंबर से 21 दिसंबर तक के लिए टाल दिया।
जस्टिस अनिल एस किलोर और रजनीश आर व्यास की बेंच ने कहा कि फेज़ में गिनती और नतीजों की घोषणा दूसरे फेज़ की वोटिंग और नतीजों पर काफी असर डालेगी।
इसलिए, नतीजे एक साथ घोषित किए जाने चाहिए, न कि फेज़ में।
यह आदेश कम से कम 10 पिटीशन पर दिया गया, जिनमें लोकल बॉडी चुनावों के नतीजों की घोषणा एक ही दिन करने की मांग की गई थी।
बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि नतीजों की घोषणा तक मॉडल कोड ऑफ़ कंडक्ट का पालन किया जाना चाहिए और तब तक कोई एग्ज़िट पोल नहीं किया जा सकता।
महाराष्ट्र के वरोरा, गोंदिया और दूसरे वार्डों की कई पिटीशन में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्शन कमीशन के वोटों की गिनती और फेज़ में नतीजे घोषित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
पिटीशन में यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी वार्डों के नतीजे उनकी अपनी म्युनिसिपल काउंसिल के अंदर एक ही तारीख को बिना बांटे घोषित किए जाएं।
पिटीशन में कहा गया, "(फेज़ में नतीजों का) यह फ़ैसला एक ही म्युनिसिपल काउंसिल के अंदर दो-लेवल का चुनावी प्रोसेस बनाने का सीधा असर डालेगा और बाकी वार्डों में उम्मीदवारों को बेवजह पॉलिटिकल और साइकोलॉजिकल फ़ायदा देगा, जो पहले से घोषित काउंसिल की बनावट के बैकग्राउंड में चुनाव लड़ेंगे। इससे वार्डों में पहले से घोषित नतीजों के आधार पर गठबंधन, लालच, पॉलिटिकल बातचीत और लोगों की सोच को भी आकार मिलेगा।"
पिटीशन में यह भी कहा गया कि फेज़ में नतीजे घोषित करने से इस बुनियादी उसूल का उल्लंघन होगा कि चुनाव आज़ाद, निष्पक्ष होने चाहिए और सभी उम्मीदवारों को बराबर मौका मिलना चाहिए।
पिटीशन करने वालों में से एक, कांग्रेस उम्मीदवार शकील हामिद मंसूरी की तरफ से वकील ऋषिकेश चितले और वेदांत पांडे ने केस लड़ा।
हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच और कोल्हापुर सर्किट बेंच में भी ऐसी ही पिटीशन दायर की गई हैं, हालांकि उन पर अभी तक कोई ऑर्डर नहीं आया है।
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Maharashtra local body polls: Nagpur Bench of Bombay High Court postpones date for declaring results