इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि धार्मिक आयोजनों, जहां धर्मांतरण होता है, को नहीं रोका गया तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक बन जाएगी [कैलाश बनाम उत्तर प्रदेश राज्य]।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम, 2021 के तहत एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
अदालत को बताया गया कि सूचना देने वाले के भाई को उसके गांव से दिल्ली में आयोजित "कल्याण" सभा में भाग लेने के लिए ले जाया गया था। उसके साथ गांव के कई लोगों को भी ईसाई धर्म अपनाने के लिए वहां ले जाया गया था।
इस संदर्भ में न्यायालय ने कहा कि यदि इस तरह की प्रथा को जारी रहने दिया गया तो एक दिन बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी।
“यदि इस प्रक्रिया को जारी रहने दिया गया तो एक दिन इस देश की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी और ऐसे धार्मिक समागमों को तुरंत रोका जाना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा हो और भारत के नागरिक का धर्म परिवर्तन हो रहा हो।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 25 “अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म के स्वतंत्र पेशे, अभ्यास और प्रचार” का प्रावधान करता है, लेकिन एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण का प्रावधान नहीं करता है।
इसने आगे कहा कि “आर्थिक रूप से गरीब व्यक्तियों सहित अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जातियों और अन्य जातियों के लोगों को ईसाई धर्म में धर्मांतरित करने की गैरकानूनी गतिविधि” पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जा रही है।
इस प्रकार, इसने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने आदेश दिया “इस न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया है कि आवेदक जमानत के लिए हकदार नहीं है। इसलिए, उपरोक्त मामले में शामिल आवेदक की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है।''
अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता साकेत जायसवाल ने पैरवी की।
राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीके गिरी और अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता सुनील कुमार ने पैरवी की।
[आदेश पढ़ें]
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