मोरबी ब्रिज हादसा: गुजरात उच्च न्यायालय ने ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक को जमानत देने से इनकार किया

सिंगल जज दिव्येश जोशी ने कहा इस साल जनवरी मे पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले आरोपी को पुल की खराब स्थिति के बारे मे अच्छी तरह से पता था और फिर भी उसने इसे जनता के लिए खोलने की अनुमति दी
Gujarat HC, Morbi Bridge
Gujarat HC, Morbi Bridge
Published on
2 min read

गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुखभाई भालोदिया (पटेल) को जमानत देने से इनकार कर दिया, जो जुल्टो पुल उर्फ मोरबी पुल नामक शताब्दी पुराने निलंबन पुल के रखरखाव और संचालन की देखरेख कर रहे थे। [जयसुखभाई भालोदिया (पटेल) बनाम गुजरात राज्य]।

एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिव्येश जोशी ने भालोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने कलेक्टर के साथ-साथ मोरबी नगरपालिका प्रमुख को भी पत्र लिखा था, जिसमें इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया था कि पुल पुराना है और मरम्मत की सख्त जरूरत है।

पीठ ने कहा, ''इसलिए, इस मोड़ पर, कम से कम, यह कहा जा सकता है कि पुल की जर्जर स्थिति के बारे में तथ्य आवेदक (भालोदिया) की जानकारी में था। न्यायमूर्ति जोशी ने अपने आदेश में कहा, ''प्रथम दृष्टया उन्हें पता था कि सस्पेंशन ब्रिज के उचित रखरखाव के अभाव में इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो सकती है और पुल की स्थिति के बारे में पर्याप्त जानकारी होने के बाद भी, इसके बावजूद उन्होंने पुल को जनता के लिए खोलने की अनुमति दी।" 

अदालत ने आगे कहा कि अगर उन्होंने समय पर सुधारात्मक उपाय किए होते तो इस घटना से बचा जा सकता था। 

न्यायमूर्ति जोशी ने कहा, 'अगर कंपनी के प्रमुख होने के नाते उन्होंने पर्याप्त सुधारात्मक कदम उठाए होते तो इस तरह की अप्रत्याशित घटना को रोका जा सकता था और निर्दोष लोगों की बहुमूल्य जान बचाई जा सकती थी।"

30 पन्नों के फैसले में, अदालत ने कहा कि वह मामले के गुण-दोषों पर कुछ भी चर्चा नहीं करना चाहती है, क्योंकि उसने केवल प्रथम दृष्टया तथ्य पर विचार किया है कि भालोदिया को पुल की स्थिति के बारे में शुरू से ही पर्याप्त जानकारी थी।

अदालत ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि घटना के पीड़ितों ने पहले ही सत्र अदालत का रुख कर मामले में भालोदिया और अन्य आरोपियों के खिलाफ कुछ अतिरिक्त आरोप लगाने की मांग की है। 

पिछले साल 30 अक्टूबर को पुल के अचानक ढह जाने की घटना में कम से कम 135 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। घटना के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया था और तब से वह जांच की निगरानी कर रहा है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता निरूपम नानावती और जल उनवाला के साथ अधिवक्ता यश नानावटी, राहुल ढोलकिया, राहुल शर्मा और उत्कर्ष दवे आरोपियों की ओर से पेश हुए।   

अतिरिक्त महाधिवक्ता मितेश अमीन और अतिरिक्त लोक अभियोजक मनन मेहता ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। 

पीड़ितों का प्रतिनिधित्व वकील रोनित जॉय ने किया। 

[निर्णय पढ़ें]

Attachment
PDF
Jaysukhbhai Bhalodia (Patel) vs State of Gujarat.pdf
Preview

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Morbi Bridge Collapse: Gujarat High Court denies bail to Oreva Group Managing Director

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com