प्रस्तावना में शब्दों को परिभाषित करना हमारा काम नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज की

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि वह प्रस्तावना में प्रयुक्त 'बंधुत्व' जैसे शब्दों का अर्थ नहीं समझते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त शब्दों की परिभाषा की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। [शिवम मिश्रा बनाम सुप्रीम कोर्ट]

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने कहा कि शब्दों को परिभाषित करना न्यायालय की भूमिका नहीं है।

कोर्ट ने कहा, "परिभाषित करना हमारा काम नहीं है। आप खुद कीजिये।"

Justice Sanjiv Khanna and Justice PV Sanjay Kumar
Justice Sanjiv Khanna and Justice PV Sanjay Kumar

याचिकाकर्ता शिवम मिश्रा ने दलील दी थी कि वह 'भाईचारा' जैसे शब्दों का मतलब नहीं समझते और अगर राहत नहीं दी गई तो उन्हें दुख होगा।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की दलील को नहीं समझ पाई।

अदालत ने कहा, "आपकी दलीलें समझ में नहीं आतीं। आपने कहा है कि अगर हम राहत नहीं देते हैं तो आपको दुख होगा।"

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Not our job to define words in Preamble: Supreme Court dismisses PIL

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