पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस काज़ी फ़ैज़ ईसा और उनकी पत्नी, सरीना फ़ेज़ ईसा पेश हुए और पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की 10-न्यायाधीशों की बेंच के समक्ष व्यक्तिगत रूप से अपने मामले की सफलतापूर्वक बहस की। [जस्टिस काजी फैज ईसा बनाम पाकिस्तान के राष्ट्रपति]।
उनकी ओर से दायर एक समीक्षा याचिका में शीर्ष अदालत के पहले के फैसले के खिलाफ, जिसने फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) को जस्टिस ईसा के परिवार के सदस्यों की पत्नी और बच्चों की तीन विदेशी संपत्तियों के गैर-प्रकटीकरण की जांच करने का आदेश दिया था, जो वार्षिक आयकर रिटर्न के साथ दायर उनकी संपत्ति की घोषणा में थे, मे ये दलीले दी गयी।
अपने 45-पृष्ठ के फैसले के माध्यम से, न्यायालय ने न केवल 6:4 के बहुमत से समीक्षा याचिका की अनुमति दी, बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के महत्व पर बल देते हुए न्यायिक जवाबदेही के महत्व पर भी जोर दिया।
फैसले के शुरुआती वाक्य में यह घोषित किया गया कि "देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सहित कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है"।
न्यायालय ने रेखांकित किया, साथ ही, देश के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सहित किसी को भी कानून के अनुसार व्यवहार करने के उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
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