लंबित आपराधिक मामला पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आवेदन करने के अधिकार से इनकार करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

न्यायालय ने अधिकारियों को पासपोर्ट अधिनियम के अनुसार आवेदक के खिलाफ मामले की लंबितता पर विचार किए बिना पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए उसकी की योग्यता की जांच करने का निर्देश दिया।
Bombay High Court
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि सिर्फ इसलिए कि एक व्यक्ति एक आपराधिक मामले में विचाराधीन है, उन्हें अपने पासपोर्ट को नवीनीकृत करने की अनुमति से वंचित नहीं किया जा सकता है। [निजल नवीन शाह बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य]

न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा कि केवल इसलिए कि धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात की सजा), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अन्य प्रावधानों के तहत कार्यवाही आवेदक के खिलाफ लंबित थी, उसे अपने पासपोर्ट को नवीनीकृत करने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता था।

आवेदक ने विक्रोली में एक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष अपने पासपोर्ट को नवीनीकृत करने की अनुमति के लिए आवेदन किया। अदालत ने इसे इस आधार पर खारिज कर दिया कि मामले का एक आरोपी फरार है और आवेदक सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि 2017 में एक सत्र न्यायाधीश ने आवेदक को यूएसए जाने की अनुमति दी थी और उसने किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया था।

इसके अलावा, यह नोट किया गया कि एक सत्र न्यायाधीश ने आवेदक को अग्रिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश देते हुए एक शर्त लगाई कि वह अदालत की अनुमति के बिना विदेश यात्रा नहीं करेगा।

स्थिति पर विचार करते हुए खंडपीठ ने निर्धारित किया कि जांच एजेंसी की आशंका अनावश्यक थी, क्योंकि गिरफ्तारी पूर्व जमानत आदेश में इसका ध्यान रखा गया था।

इसलिए, उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि आवेदक के अनुमति के अनुरोध पर उसके खिलाफ दर्ज अपराधों को ध्यान में रखे बिना नए सिरे से विचार किया जाए।

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Pending criminal case not sufficient ground to deny right to apply for passport renewal: Bombay High Court

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