उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित एक अधिवक्ता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार की हाल की अधिसूचना को चुनौती दी है, जिसमें 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में घोषित किया गया है, ताकि 1975 में लगाए गए आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वालों को श्रद्धांजलि दी जा सके।
सोमवार को अधिवक्ता संतोष कुमार दोहरे द्वारा अधिवक्ता ब्रज मोहन सिंह के माध्यम से दायर जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई।
सिंह ने बार एंड बेंच को बताया कि जनहित याचिका पर जवाब के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस जारी किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।
डोहरे ने जनहित याचिका में तर्क दिया है कि गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव के माध्यम से जारी अधिसूचना में संविधान के प्रति अपमानजनक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है।
विशेष रूप से, याचिका में कहा गया है कि यह राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसमें 'संविधान' के साथ 'हत्या' शब्द का इस्तेमाल किया गया है।
यह तर्क दिया गया है कि चूंकि आपातकाल की घोषणा संविधान के प्रावधान के तहत थी, इसलिए केंद्र ऐसी घोषणा जारी नहीं कर सकता। याचिका में कहा गया है कि संविधान एक जीवित दस्तावेज है जो कभी खत्म नहीं हो सकता या इसे नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
डोहरे ने संयुक्त सचिव की ऐसी अधिसूचना जारी करने की शक्ति पर भी सवाल उठाया है तथा आगे कहा है कि यह खुलासा नहीं किया गया है कि किस कानून या विनियमन के तहत अधिसूचना जारी की गई।
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PIL before Allahabad High Court challenges 'Samvidhaan Hatya Diwas' notification