बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि पुलिस स्टेशन ऐसे स्थान होते हैं जहां लोग अपनी शिकायत दर्ज कराने और अपने साथ हुए गलत काम का निवारण करने के लिए स्वतंत्र रूप से आ सकते हैं [जीशान मुख्तार हुसैन सिद्दीकी बनाम महाराष्ट्र राज्य]।
जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और आरएन लड्डा की खंडपीठ ने 33 वर्षीय एक व्यक्ति के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 (जासूसी) के तहत मुंबई में मीरा रोड पुलिस स्टेशन में उसके खिलाफ दायर एक लिखित शिकायत की तस्वीरें क्लिक करने के लिए दर्ज की गई पहली सूचना रिपोर्ट को रद्द कर दिया।
खंडपीठ ने यह दोहराते हुए कि अधिनियम के तहत एक पुलिस स्टेशन एक 'निषिद्ध जगह' नहीं है, कहा कि पुलिस अधिक से अधिक फोटोग्राफी के खिलाफ एक डिस्प्ले बोर्ड लगा सकती है।
आदेश में कहा गया है, "पुलिस थाना कानून में परिभाषित निषिद्ध स्थान की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है। पुलिस स्टेशन ऐसे स्थान हैं, जहां लोग जाने/आने, शिकायत/एफआईआर दर्ज कराने, अपने साथ हुए गलत/अन्याय को दूर करने के लिए स्वतंत्र हैं।पुलिस के लिए फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने के लिए बोर्ड लगाना हमेशा खुला रहता है, लेकिन अगर कोई फोटो/वीडियो लेता है, तो निश्चित रूप से उक्त अधिनियम आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के दायरे में नहीं आएगा।"
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति मोहिते-डेरे की अगुवाई वाली पीठ ने पिछले साल 22 दिसंबर को इसी तरह का एक आदेश पारित किया था, जिसके द्वारा उसने एक व्यक्ति के खिलाफ अधिनियम कानून के तहत एक प्राथमिकी को रद्द कर दिया था, जिसने बाहर से एक पुलिस स्टेशन की तस्वीरें क्लिक की थीं।
उस आदेश में खंडपीठ ने कई मामलों में पुलिस द्वारा ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के प्रावधानों के लगातार दुरूपयोग पर प्रकाश डाला था.
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें