[बलात्कार का मामला] शादी के वादे को पूरा करने में विफलता का मतलब यह नहीं है कि वादा झूठा था: बॉम्बे हाईकोर्ट

कोर्ट ने एक व्यक्ति को यह देखने के बाद अग्रिम जमानत दी कि पार्टियों के बीच यौन संबंध केवल शादी के वादे पर आधारित नहीं थे बल्कि यह एक सहमति से संबंध था।
Nagpur Bench

Nagpur Bench

Published on
1 min read

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में एक महिला से शादी का झांसा देकर बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी है। [गुलाब लक्ष्मण मेश्राम बनाम महाराष्ट्र राज्य]

एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसपी तावड़े ने कहा कि शादी के वादे को पूरा करने में विफलता का मतलब यह नहीं था कि वादा ही झूठा था।

कोर्ट ने कहा कि यौन संबंधों के लिए पार्टियों के बीच सहमति केवल शादी के वादे पर आधारित नहीं थी बल्कि यह एक सहमति से संबंध था।

कोर्ट ने कहा, "प्रथम सूचना रिपोर्ट में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि जब आवेदक ने शिकायतकर्ता से शादी करने का वादा किया, तो उसे गलत विश्वास और उसका फैसला करने के इरादे से किया गया। उक्त तथ्य पक्षों के बीच लंबे समय से चले आ रहे शारीरिक संबंधों से स्थापित होता है। शादी करने के अपने वादे को पूरा करने में आवेदक की विफलता का मतलब यह नहीं लगाया जा सकता है, वादा ही झूठा था।"

आवेदक गुलाब मेश्राम ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता महिला से शादी करने का वादा किया था और उससे शादी करने के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त करने से पहले लगभग चार साल तक उसके साथ यौन संबंध बनाए।

मेश्राम के मनमुटाव के बारे में पता चलने पर महिला ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।

[आदेश पढ़ें]

Attachment
PDF
Gulab_so_Laxman_Meshram_vs_State_Of_Maharashtra.pdf
Preview

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें


[Rape case] Failure to fulfil promise of marriage does not mean promise was false: Bombay High Court

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com