बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने हाल ही में एक महिला से शादी का झांसा देकर बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत दे दी है। [गुलाब लक्ष्मण मेश्राम बनाम महाराष्ट्र राज्य]
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसपी तावड़े ने कहा कि शादी के वादे को पूरा करने में विफलता का मतलब यह नहीं था कि वादा ही झूठा था।
कोर्ट ने कहा कि यौन संबंधों के लिए पार्टियों के बीच सहमति केवल शादी के वादे पर आधारित नहीं थी बल्कि यह एक सहमति से संबंध था।
कोर्ट ने कहा, "प्रथम सूचना रिपोर्ट में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि जब आवेदक ने शिकायतकर्ता से शादी करने का वादा किया, तो उसे गलत विश्वास और उसका फैसला करने के इरादे से किया गया। उक्त तथ्य पक्षों के बीच लंबे समय से चले आ रहे शारीरिक संबंधों से स्थापित होता है। शादी करने के अपने वादे को पूरा करने में आवेदक की विफलता का मतलब यह नहीं लगाया जा सकता है, वादा ही झूठा था।"
आवेदक गुलाब मेश्राम ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता महिला से शादी करने का वादा किया था और उससे शादी करने के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त करने से पहले लगभग चार साल तक उसके साथ यौन संबंध बनाए।
मेश्राम के मनमुटाव के बारे में पता चलने पर महिला ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
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[Rape case] Failure to fulfil promise of marriage does not mean promise was false: Bombay High Court