देवी नाम वाली बलात्कार पीड़िता की दूसरे समुदाय के व्यक्ति ने की मदद: सीबीएफसी की फिल्म 'जानकी' पर 5 आपत्तियां

सीबीएफसी के अनुसार ऐसी फिल्मो को अनुमति देना, जिनमें मुख्य पात्र को बलात्कार पीड़िता के रूप में दर्शाया गया हो, तथा जिसका नाम किसी पूजनीय देवता का हो, सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
JSK: Janaki v State of Kerala
JSK: Janaki v State of KeralaIMDB
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केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता सुरेश गोपी अभिनीत मलयालम फिल्म 'जेएसके: जानकी बनाम केरल राज्य' जल्द ही सिनेमाघरों में आ सकती है, क्योंकि इसके निर्माता केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा सेंसर प्रमाणन के लिए मांगे गए बदलावों पर सहमत हो गए हैं।

हालाँकि बोर्ड ने पहले फिल्म में 96 कट्स का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उसने बुधवार को केरल उच्च न्यायालय को बताया कि वह केवल दो विशिष्ट बदलावों की मांग कर रहा है।

पहला, फिल्म के उपशीर्षक, 'जानकी बनाम केरल राज्य' में 'जानकी' नाम को बदलकर 'जानकी वी' या 'वी जानकी' करना है, जो कि किरदार के पूरे नाम, जानकी विद्याधरन के साथ मेल खाता हो।

दूसरा, अदालत में जिरह के दौरान 'जानकी' नाम को म्यूट करना है।

सीबीएफसी की आपत्तियाँ इस तथ्य से उपजी हैं कि जानकी, भगवान राम की पत्नी, हिंदू देवी सीता का दूसरा नाम है।

सीबीएफसी के अनुसार, इस विशेष फिल्म में उनके नाम का उपयोग अनुपयुक्त है।

केरल उच्च न्यायालय में दायर हलफनामे में सीबीएफसी द्वारा इस रुख को सही ठहराने के लिए दिए गए कई कारणों में से ये पाँच कारण हैं:

1. जानकी नामक पात्र को बलात्कार की पीड़िता के रूप में दर्शाया गया है और बाद में उसे न्याय की तलाश में कई दर्दनाक परिस्थितियों का सामना करते हुए दिखाया गया है। ऐसी फिल्मों को अनुमति देना जहाँ मुख्य पात्र को एक पूजनीय देवी के नाम के साथ बलात्कार पीड़िता के रूप में दर्शाया गया है, लोक व्यवस्था के लिए गंभीर चिंता का विषय है।

सीबीएफसी ने कहा, "इस तरह का चित्रण देवी सीता के पूजनीय व्यक्तित्व से जुड़ी गरिमा और पवित्रता को मूल रूप से कमज़ोर करता है, जिससे धार्मिक भावनाओं को गंभीर ठेस पहुँचती है।"

2. फिल्म में ऐसे दृश्य हैं जहाँ मुख्य पात्र से उसके साथ हुए हमले के बारे में जिरह की जा रही है। बचाव पक्ष के वकील आक्रामक सवाल पूछते हैं, जैसे कि क्या वह अश्लील फिल्में देखती है; क्या वह यौन सुख बढ़ाने के लिए कोई नशीली दवाएँ लेती है, क्या उसका कोई प्रेमी है या हमले से पहले वह गर्भवती थी या नहीं।

सीबीएफसी ने तर्क दिया, "यह दलील दी गई है कि देवी सीता के नाम वाले पात्र से ऐसे भड़काऊ सवाल पूछने से सार्वजनिक व्यवस्था भंग होने और धार्मिक समुदायों को ठेस पहुँचने की आशंका है।"

3. मुख्य पात्र के साथ बलात्कार के बाद, "एक विशेष धार्मिक समुदाय के व्यक्ति द्वारा उसकी मदद की जाती है और दूसरे धार्मिक समुदाय के व्यक्ति द्वारा उससे जिरह की जाती है और उससे कठोर सवाल पूछे जाते हैं।"

सीबीएफसी के हलफनामे में कहा गया है, "देवी सीता के पवित्र नाम वाले पात्र के साथ इस धार्मिक विरोधाभास से सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है और धार्मिक समूहों के बीच विभाजनकारी आख्यान पैदा हो सकते हैं।"

4. निर्माताओं ने जानबूझकर देवी जानकी/सीता का नाम अपनाया है, जबकि उन्हें पूरी तरह पता है कि यह नाम जनसाधारण की सामूहिक चेतना में गहरी श्रद्धा रखता है। निर्माताओं ने यह नाम उनके धार्मिक महत्व का लाभ उठाने के स्पष्ट इरादे से चुना।

सीबीएफसी ने कहा, "निर्माता आसानी से मुख्य किरदार और फिल्म, दोनों का नाम बदल सकते थे और यह सुनिश्चित कर सकते थे कि उनका कोई धार्मिक अर्थ न हो। ऐसा करने से फिल्म का मूल संदेश और निर्माताओं की कलात्मक दृष्टि सुरक्षित रहती और साथ ही धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचने और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा होने से भी बचा जा सकता था।"

5. ऐसी फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति देने से भानुमती का पिटारा खुल जाएगा।

सीबीएफसी ने तर्क दिया, "अगर माननीय न्यायालय आज इस फिल्म को अनुमति दे देता है, तो भविष्य में निर्माता इसी तरह के अनुचित और आपत्तिजनक विषयवस्तु वाले पात्रों के लिए पवित्र धार्मिक नामों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे विभिन्न समुदायों की धार्मिक भावनाओं को व्यवस्थित रूप से कमज़ोर किया जा सकेगा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा पैदा होगा।"

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