नकदी बरामदगी पर दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का जवाब पढ़ें

न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों से इनकार किया है और यह भी कहा है कि जिस कमरे में आग लगी थी और जहां कथित तौर पर नकदी मिली थी, वह एक बाहरी कमरा था।
Justice Yashwant Varma
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भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आवास से कथित तौर पर नकदी बरामद होने के विवाद पर प्रस्तुत जांच रिपोर्ट जारी कर दी है।

न्यायालय ने आरोपों पर न्यायमूर्ति वर्मा का जवाब भी जारी किया है।

अपने जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने आरोपों से इनकार किया है और यह भी कहा है कि जिस कमरे में आग लगी थी और जहां कथित तौर पर नकदी मिली थी, वह एक आउटहाउस था, न कि मुख्य भवन जहां न्यायाधीश और परिवार रहता है।

न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने जवाब में कहा, "मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि उस स्टोररूम में मेरे या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा कभी कोई नकदी नहीं रखी गई थी और इस बात की कड़ी निंदा करता हूं कि कथित नकदी हमारी थी। यह विचार या सुझाव कि यह नकदी हमारे द्वारा रखी या संग्रहीत की गई थी, पूरी तरह से बेतुका है। यह सुझाव कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले, आसानी से सुलभ और आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम में या एक आउटहाउस में नकदी संग्रहीत कर सकता है, अविश्वसनीय है। यह एक ऐसा कमरा है जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है और एक चारदीवारी मेरे रहने के क्षेत्र को उस आउटहाउस से अलग करती है। मैं केवल यही चाहता हूं कि मीडिया ने मुझ पर अभियोग लगाने और प्रेस में बदनाम होने से पहले कुछ जांच की होती।"

रिपोर्ट और अन्य सभी दस्तावेज 25 पृष्ठों में हैं।

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति गठित की है।

इस समिति में न्यायमूर्ति शील नागू (पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), न्यायमूर्ति जीएस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति अनु शिवरामन (कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) शामिल हैं।

Enquiry Committee in the Justice Yashwant Varma matter
Enquiry Committee in the Justice Yashwant Varma matter

सीजेआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को फिलहाल न्यायमूर्ति वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार न्यायमूर्ति वर्मा के घर में आग लगने से अनजाने में बेहिसाब नकदी बरामद हुई थी।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके पैतृक उच्च न्यायालय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने का फैसला किया था।

हालांकि, शुक्रवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों की पूर्ण न्यायालय बैठक में यह सुझाव दिया गया कि दंडात्मक स्थानांतरण पर्याप्त नहीं होगा और न्यायाधीश के खिलाफ कुछ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।

इसके बाद पूर्ण न्यायालय ने सर्वसम्मति से आंतरिक जांच के लिए सहमति व्यक्त की, जिसमें पहला कदम स्थानांतरण होगा।

[रिपोर्ट पढ़ें]

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