कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को पत्रकार अजीत भारती के खिलाफ कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी के बारे में गलत जानकारी फैलाने के मामले में दर्ज मामले पर रोक लगा दी। [अजीत भारती बनाम कर्नाटक राज्य]
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने कहा कि मुख्य मुद्दा राष्ट्रीय समाचार पत्रों द्वारा किए गए दावों की सत्यता के इर्द-गिर्द घूमता है, जिन्हें भारती ने साझा किया था।
अदालत ने दर्ज किया, "यदि ट्वीट कुछ समाचार पत्रों की रिपोर्टों का परिणाम है, जो कि कुछ पूर्व कांग्रेस नेताओं द्वारा भी दावा किया गया था और याचिकाकर्ता ने भी ऐसे दावे के संबंध में ट्वीट किया है, तो यह दावा बनाम दावा हो जाता है। इसलिए, समस्या की उत्पत्ति पूर्वोक्त उद्धृत दावे में निहित है, जिसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता ने ट्वीट किया है।"
भारती के खिलाफ प्राथमिकी कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति (केपीसीसी) की कानूनी इकाई के सचिव बीके बोपन्ना ने दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारती ने अपने एक्स हैंडल के जरिए गलत सूचना फैलाई है।
शिकायत में कहा गया था कि भारती ने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि राहुल गांधी अयोध्या में राम मंदिर के स्थान पर बाबरी मस्जिद वापस लाने का इरादा रखते हैं।
इसके अनुसार, भारती के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 505 (2) (वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना पैदा करना या बढ़ावा देना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इससे व्यथित होकर भारती ने उच्च न्यायालय का रुख किया।
भारती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम अरुणा श्याम ने दावा किया कि भारती ने संविधान के तहत अपने मौलिक अधिकारों के तहत काम किया और शिकायतकर्ता का आचरण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इसलिए, उन्होंने शिकायत को रद्द करने की मांग की।
न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे का मूल मुद्दा समाचार पत्रों की रिपोर्ट की सत्यता है और निर्धारित किया कि जब तक दावों की सत्यता सत्यापित नहीं हो जाती, तब तक आगे की जांच की अनुमति नहीं दी जा सकती।
न्यायालय 19 जुलाई को मामले पर आगे की सुनवाई करेगा।
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Remarks against Rahul Gandhi: Karnataka High Court stays probe against Ajeet Bharti