सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के कामकाज पर कड़ी असहमति जताई। [भारती जगत जोशी बनाम भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य]
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि रेरा उन पूर्व नौकरशाहों के लिए एक जगह बन गया है, जिन्होंने रेरा अधिनियम की योजना को विफल कर दिया है।
न्यायालय ने कहा, "हम रेरा के बारे में बात नहीं करना चाहते। यह उन पूर्व नौकरशाहों के लिए पुनर्वास केंद्र बन गया है, जिन्होंने अधिनियम की पूरी योजना को विफल कर दिया है।"
रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता को विनियमित करने और बढ़ावा देने, घर खरीदने वालों की सुरक्षा करने और परियोजनाओं की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए 2016 का RERA अधिनियम बनाया गया था।
न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को याचिकाकर्ताओं और इसी तरह की स्थिति वाले घर खरीदने वालों से प्री-ईएमआई या पूरी ईएमआई वसूलने से परहेज करने के निर्देश देने की याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें RERA जैसे वैकल्पिक उपायों की उपलब्धता का हवाला दिया गया था।
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RERA has become rehabilitation centre for former bureaucrats: Supreme Court