केरल सरकार ने केरल पुलिस अधिनियम में किये गये विवादास्पद संशोधन लागू करना फिलहाल टाल दिया है। एक अध्यादेश के माध्यम से केरल पुलिस कानून में धारा 118ए जोड़ कर संदेशों में इस्तेमाल भाषा मानहानिकारक, भड़काने वाली और गाली गलौज वाली होने पर इसे दंडनीय अपराध बनाया गया था।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को इस अध्यादेश पर अमल रोकने के बारे में एक बयान दिया जिसमे ऐसा करने की वजह इस प्रावधान को लेकर जनता की चिंता बताया गया है। केरल सरकार ने इस अध्यादेश को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा शनिवार को मंजूरी देने के दो दिन बाद यह कदम उठाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रावधान पर केरल विधान सभा में विस्तार से चर्चा होगी और फिलहाल यह संशोधन लागू नहीं किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी सफाई दी कि इस प्रावधान का उद्देश्य बोलने की आजादी पर अंकुश लगाना कभी नहीं था।
केरल पुलिस कानून में शामिल की गयी नयी धारा 118ए में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई व्यक्ति संचार के किसी भी माध्यम से किसी व्यक्ति को डराने-धमकाने, मानहानि करने, अपमानित करने या गाली गलौज वाली ऐसी कोई सामग्री, यह जानते हुये कि यह झूठी और दूसरे की प्रतिष्ठा का ठेस पहुंचाने वाली है, प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित करता है तो यह दंडनीय अपराध होगा।
इसमें प्रावधान था कि इस अपराध के लिये दोषी पाये गये व्यक्ति को तीन साल तक की कैद या 10,000 रूपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
इस अध्यादेश को भाजपा और यूडीएफ के नेताओं ने केरल उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय इन याचिकाओं पर कल सुनवाई के लिये तैयार हो गया था।
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