महमूद प्राचा के परिसरों पर दिल्ली पुलिस का छापा धमकाने वाला और अधिकारों का बेजा इस्तेमाल है: एससीबीए

एससीबीए ने दिल्ली पुलिस के छापे को मनमाना, गैरकानूनी और कानून के विपरीत तथा कानूनी बिरादरी सदस्यों के खिलाफ करार दिया है।
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उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने अधिवक्ता महमूद प्राचा के कार्यालय पर दिल्ली पुलिस के छापे और वहां से सामान जब्त करने की कार्रवाई पर क्षोभ, चिंता और निराशा व्यक्त की है।

एससीबीए ने सोमवार को एक बयान में कहा कि महमूद प्राचा परिसर पर दिल्ली पुलिस का छापा ‘एक मनमानी, गैरकानूनी और अधिकारों का खुल्लखुल्ला बेजा इस्तेमाल’ कार्रवाई है और उनके द्वारा की गयी कार्रवाई ‘कानून के विपरीत कानूनी बिरादरी के सदस्यों के खिलाफ है।’

एससीबीए ने उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक वकील पर स्थानीय पुलिस के बर्बरतापूर्ण हमले की भी निन्दा की है जिसने वकील के घर में घुसकर उसकी पिटाई की और फिर उसे तथा पूरे परिवार को जेल में बंद कर दिया।

एससीबीए के बयान के अनुसार, ‘‘इस एसोसिएशन के एक सदसय के परिसर की तलाशी लेना और सामग्री जब्त करना दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई है जो एक वकील बिना किसी पक्षपात या भय के अपना वकालत का काम करने के अधिकार को निष्फल बनाता है। इस तरह की कार्रवाई धमकी देने वाली और पुलिस की डरा धमका कर एक वकील को धमकाने के लिये कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग करने का ऐसा तरीका है जिसे कानूनी इतिहास में नहीं सुना गया है।’’

एससीबीए ने कहा है कि पुलिस की कार्रवाई ने आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई के लिये संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार का उल्लंघन किया है।

बयान में आगे कहा गया है कि वकीलों को उनके मुवक्किल गोपनीय जानकारियां सौंपते हैं जो विशेषाधिकार संदेश हैं।

एससीबीए के अनुसार, ‘‘ऐसे विशेषाधिकार कानून के तहत संरक्षित हैं और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का प्रभावी तरीके के उपयोग के लिये जरूरी है।’’

बयान के अनुसार अदालत के आदेश की आड़ में दिल्ली पुलिस द्वारा वकील का निजी कम्प्यूटर और दूसरे निजी उपकरण जब्त करने का प्रयास निजता के अधिकार का घोर हनन है।

दिल्ली दंगे और नागरिकता संशोधन कानून से संबंधित मामलों में आरोपियों की ओर से पेश हो रहे महमूद प्राचा के कार्यालय पर दिल्ली पुलिस ने 24 दिसंबर को छापा मारकर तलाशी ली थी।

सूत्रों के अनुसार प्राचा के कार्यालय पर दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने छापा मारा था। पुलिस का दावा था कि वह ‘आपत्तिजनक दस्तावेजों’ की तलाश कर रही है और उसने प्राचा की फर्म की आधिकारिक ईमेल आईडी से जाने वाली मेल के आंकड़े भी खंगाल रही थी।

इस छापे की कार्रवाई के दौरान ही प्राचा ने अधिकारियों से कहा कि अदालत का आदेश उन्हें उनका कम्प्यूटर जब्त करने की नहीं बल्कि उसकी जांच करने की अनुमति देता है।

प्राचा ने बाद में पटियाला हाउस अदालत में याचिका दायर कर इस छापे की कार्रवाई की वीडियो फुटेज उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। अदालत ने इसकी सुनवाई जनवरी के लिये स्थगित करते हुये जांच अधिकारियों से कहा है कि वे इसकी प्रति संरक्षित रखें।

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Delhi Police raids on premises of Mehmood Pracha intimidatory, brazen exercise of brute power: SCBA

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