दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दिल्ली सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए बनाए गए शौचालयों की संख्या का खुलासा करते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और क्या राष्ट्रीय राजधानी में बनाए जा रहे सभी नए सार्वजनिक शौचालय सुविधाओं में समुदाय के लिए अलग स्थान हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने यह भी कहा कि यदि नई सुविधाओं में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए अलग स्थान नहीं है, तो सरकार को तुरंत पहलू पर गौर करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, "ट्रांसजेंडरों के लिए अलग शौचालय बनाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं, इसका खुलासा करते हुए एक स्टेटस रिपोर्ट फाइल की जाए। बनाए गए शौचालयों की संख्या का खुलासा किया जाएगा। यह भी खुलासा किया जाएगा कि क्या सार्वजनिक शौचालयों में नए निर्माणों में ट्रांसजेंडरों के लिए जगह है। यदि नहीं, तो हम उन्हें बिना देर किए इस पहलू पर गौर करने का निर्देश देते हैं। इसे अगली सुनवाई से एक सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाए।"
अब इस मामले पर 29 जुलाई को विचार किया जाएगा।
बेंच जैस्मिन कौर छाबड़ा द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें सरकार को तीसरे लिंग के लिए अलग सार्वजनिक शौचालय का प्रावधान करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस संबंध में 12 फरवरी 2021 को समाज कल्याण विभाग की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर अलग से सुविधाएं बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इस दौरान कोर्ट को बताया गया कि सरकार ने कहा है कि विकलांग लोगों के लिए बने शौचालय की सुविधा का इस्तेमाल थर्ड जेंडर कर सकता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने हालांकि कहा कि लगभग डेढ़ साल पहले अधिसूचना जारी कर कहा गया था कि ये सुविधाएं दो साल में उपलब्ध हो जाएंगी, लेकिन इस संबंध में कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया गया है।
पीठ ने तब टिप्पणी की कि इस मुद्दे को रातोंरात हल नहीं किया जा सकता है, और जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ेगी और समाज अधिक संवेदनशील होगा, सुविधाएं सामने आएंगी।
याचिका में कहा गया है, "केंद्र और राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर बीमार अस्पतालों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए उचित उपाय करने चाहिए और उन्हें अलग सार्वजनिक शौचालय और अन्य सुविधाएं भी प्रदान करनी चाहिए।"
जब इस मामले की पहली सुनवाई 25 मई को हुई थी, तब दिल्ली सरकार ने कहा था कि वह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 22 के तहत पहले ही ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए अधिसूचना जारी कर चुकी है।
आगे यह भी कहा गया कि सरकार विकलांग व्यक्तियों के लिए बने शौचालयों पर 'टी' चिन्ह बनाएगी, ताकि ट्रांसजेंडर समुदाय उनका उपयोग कर सके।
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