हमें बताएं कि कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नाम लंबित क्यों हैं: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा

कोर्ट झारखंड राज्य की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमे झारखंड HC के CJ के रूप मे न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की नियुक्ति को मंजूरी नही देने के लिए केंद्र के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग की गई
Supreme Court collegium
Supreme Court collegium
Published on
3 min read

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से न्यायाधीश पद के लिए कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए नामों की सूची प्रस्तुत करने को कहा, तथा स्पष्टीकरण मांगा कि उन पर अभी तक विचार क्यों नहीं किया गया।

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

CJI DY Chandrachud, Justice JB Pardiwala, Justice Manoj Misra
CJI DY Chandrachud, Justice JB Pardiwala, Justice Manoj Misra

पहली याचिका झारखंड सरकार द्वारा न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव को झारखंड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी न देने के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​की कार्रवाई की मांग की गई थी।

कॉलेजियम ने 11 जुलाई को जस्टिस राव की नियुक्ति की सिफारिश की थी, लेकिन अभी तक उसे मंजूरी नहीं मिली है।

एडवोकेट हर्ष विभोर सिंघल द्वारा दायर दूसरी याचिका में केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम के प्रस्तावों को संसाधित करने और उन्हें हरी झंडी दिखाने के लिए निश्चित समयसीमा की मांग की गई है।

जब आज मामले का उल्लेख किया गया, तो अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणी ने अदालत से कहा,

"मैं न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले के बारे में कुछ बताना चाहूंगा। मैं थोड़ा अस्वस्थ हूं..."

तब सिंघल ने कहा,

"मुझे नहीं पता कि ऐसे मामले में स्थगन मांगने से केंद्र को क्या मिलता है। समस्या न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया में नहीं है, बल्कि..."

इसके बाद अदालत ने कहा कि जब मामला बुलाया जाएगा, तब वह इस पर सुनवाई करेगी।

जब मामला फिर से सुनवाई के लिए आया, तो अदालत ने इसे स्थगित करने की इच्छा जताई, यह खुलासा करते हुए कि कुछ नियुक्तियों को मंजूरी दी जा रही है।

इसके बाद अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा,

"सौरभ कृपाल आदि के मामले हैं, जहां नामों को मंजूरी नहीं दी गई और ऐसे कई उदाहरण हैं, जब केंद्र वर्षों तक कॉलेजियम की सिफारिशों पर बैठा रहता है।"

इसी समय सीजेआई चंद्रचूड़ ने एजी से पूछा,

"यदि आप कृपया दोहराए गए नामों की सूची बना सकते हैं और यह क्यों लंबित है और किस स्तर पर लंबित है। हमें बताएं कि यह क्यों लंबित है।"

झारखंड राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा,

"न्यायमूर्ति सारंगी का नाम (दिसंबर 2023 में झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अनुशंसित और जुलाई 2024 में ही नियुक्त) को मंजूरी नहीं दी जा सकी और वे 6 महीने तक शामिल नहीं हो सके।"

एजी का जवाब था,

"ऐसे नामों के लंबित रहने के कई कारण हैं और हमें इसमें कोई हिचकिचाहट नहीं है...अदालत में आकर यह सब कहना बहुत आसान है..."

आखिरकार मामले को स्थगित कर दिया गया।

झारखंड सरकार की याचिका में यह भी कहा गया है कि पिछले मुख्य न्यायाधीश के मामले में भी कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देने में अत्यधिक देरी हुई है।

याचिका के अनुसार, कॉलेजियम ने 27 दिसंबर, 2023 को झारखंड के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उड़ीसा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर सारंगी के नाम की सिफारिश की थी।

याचिका में कहा गया है हालांकि, केंद्र सरकार ने 3 जुलाई, 2024 को ही नियुक्ति को मंजूरी दी और न्यायमूर्ति सारंगी 19 जुलाई को पद से सेवानिवृत्त हो गए। इस प्रकार, वे केवल 15 दिनों के लिए मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा कर पाए।

कॉलेजियम ने मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की सिफारिश काफी पहले ही कर दी थी, लेकिन केंद्र ने इस पर कार्रवाई नहीं की, राज्य ने आरोप लगाया है।

इससे न्याय प्रशासन प्रभावित हुआ है और केंद्र सरकार की देरी दूसरे न्यायाधीशों और तीसरे न्यायाधीशों के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Show us why names reiterated by Collegium are pending: Supreme Court to Centre

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com