[सिद्दीक कप्पन] सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल रिकॉर्ड मांगा; सरकार ने कहा कि हैबियस कॉर्पस याचिका बरकरार नहीं है

सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कप्पन को अदालत में पेश किया गया और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराधों के लिए आरोप लगाया गया।
Siddique Kappan with Supreme Court
Siddique Kappan with Supreme Court
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उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस की याचिका की सुनवाई पर जिसमे पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि कप्पन की नजरबंदी कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होने के बाद से याचिका बरकरार नहीं है।

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कप्पन को अदालत में पेश किया गया और उन पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराध का आरोप लगाया गया।

चिकित्सा आपातकाल का हवाला देते हुए दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में यूपी के अस्पताल से कप्पन के स्थानांतरण की मांग करने वाला वर्तमान आवेदन भी हैबस कॉर्पस की उस दलील के बाद से बरकरार नहीं है, जिसमें यह अर्जी दाखिल की गई है।

मेहता ने अदालत से कहा, "यह बरकरार नहीं है। वह जमानत के लिए आवेदन कर सकता है क्योंकि वह कानूनन हिरासत में है। लेकिन हेबियस कोपस की याचिका बरकरार नहीं है।"

कप्पन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विल्स मैथ्यू ने कहा कि वह कप्पन की चिकित्सा स्थिति के सीमित पहलू पर था और अब के रूप में हैबियस कॉर्पस पर नहीं।

कोर्ट को तब तकनीकी गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा। एसजी मेहता ने तब कोर्ट से मामले की कल सुनवाई करने के लिए कहा क्योंकि उसे कोविड मुद्दों पर शुरू किए गए मामलों पर विशेष पीठ के समक्ष सुनवाई में शामिल होना था।

मैथ्यू ने अदालत से कहा कि उन्हें कल इस मामले की सुनवाई करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होने कोर्ट से कहा कि सरकार को कप्पन के मेडिकल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के निर्देश दिये जाये।

अदालत ने सहमति व्यक्त की और सरकार को बुधवार को सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करते हुए कप्पन के मेडिकल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए कहा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत और ए एस बोपन्ना की खंडपीठ पत्रकारों की संस्था, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें चिकित्सा आपातकाल का हवाला देते हुए कप्पन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

केयूडब्लूजे की याचिका में कहा गया है कि कप्पन मथुरा जेल में बाथरूम में गिर गया था और बाद में कोविड-19 संक्रमित पाया गया था।

वर्तमान में वह केएम मेडिकल कॉलेज, मथुरा में भर्ती हैं। यह विश्वसनीय रूप से माना जाता है कि, मथुरा जेल के 50 से अधिक कैदी COVID से पीड़ित हैं और यहां तक कि शौचालय से पीने का पानी गंभीरता से स्वच्छता, स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, जिससे सभी को एक बड़ी आपदा का सामना करना पड़ता है। आज तक सभी कारणों से श्री सिद्दीक कप्पन का जीवन खतरे में है।

कप्पन, मलयालम समाचार पोर्टल अज़ीमुखम के लिए एक रिपोर्टर और KUWJ की दिल्ली इकाई के सचिव को अक्टूबर में तीन अन्य लोगों के साथ 19 साल की दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या पर रिपोर्ट के लिए हाथरस जाते समय गिरफ्तार किया गया था।

बाद में उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोपित किया गया और उन पर राजद्रोह के आरोप के साथ थप्पड़ भी मारा गया।

केयूडब्लूजे द्वारा नवीनतम आवेदन हैबियस कॉर्पस याचिका में दायर किया गया था।

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[Siddique Kappan] Supreme Court seeks medical records; Habeas Corpus plea not maintainable, says Government

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