मद्रास उच्च न्यायालय ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि उसने तमिलनाडु और पुडुचेरी में अधीनस्थ न्यायालयों को 8 फरवरी से पूरी क्षमता के साथ कार्य करने से रोकने के लिए सभी प्रतिबंध हटा दिए हैं, बशर्ते लागू COVID-19 सुरक्षा मानदंडों का पालन किया जाए।
मद्रास उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा सोमवार को जारी परिपत्र मे कहा गया, मुख्य जिला न्यायाधीशों के लिए यह अधिकार है कि वे अपने संबंधित जिले में, या यहां तक कि एक विशेष तालुक में मौजूद स्थिति के आधार पर, कार्य करने के तरीके और कार्यप्रणाली पर निर्णय लें।
परिपत्र मे कहा गया है, कि यदि शारीरिक कामकाज फिर से शुरू किया जाता है तो अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का पालन किया जाना है। संकलित किए जाने वाले विभिन्न उपायों में सेनिटेशन, थर्मल स्क्रीनिंग, सामाजिक दुरी, मास्क पहनना अनिवार्य, अदालतों में प्रतिबंधित प्रवेश आदि शामिल हैं।
परिपत्र ने आगे स्पष्ट किया, प्रधान जिला न्यायाधीश राज्य या केंद्र सरकारों द्वारा COVID-19 की रोकथाम के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अधीन स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर किसी भी शर्त को संशोधित या शिथिल कर सकते हैं या कोई प्रतिबंध लगा सकते हैं।
जहां तक अधीनस्थ न्यायालय परिसर के भीतर बार एसोसिएशन के कमरे, कक्ष और कैंटीन खोलने की बात है, तो सर्कुलर में कहा गया है कि अदालतों द्वारा पूरी क्षमता से शारीरिक रूप से कार्य करने के तीन सप्ताह बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।
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