
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक ऐसे व्यक्ति को बरी कर दिया, जो 2014 में 23 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ एस्तेर अनुह्या के साथ बलात्कार और हत्या के आरोप में 2015 से मौत की सजा का इंतजार कर रहा था।
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि चंद्रभान सुदाम सनप की सजा बरकरार रखना बेहद असुरक्षित है।
साक्ष्यों की जांच के बाद न्यायालय ने कहा कि सभी तथ्य बताते हैं कि अभियोजन पक्ष की कहानी में बहुत बड़ा छेद है और जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक है।
न्यायालय ने आदेश दिया, "हम मानते हैं कि अपीलकर्ता अपराध का दोषी नहीं है। अपीलकर्ता को मुक्त किया जाना चाहिए। वह दोषी नहीं है। उसे बरी किया जाता है।"
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2018 में सनप की मौत की सज़ा की पुष्टि करते हुए कहा था कि ऐसा व्यक्ति निश्चित रूप से समाज के लिए ख़तरा बना रहेगा।
इस मामले में पीड़िता मुंबई के गोरेगांव में टीसीएस में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर थी और आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम की रहने वाली थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 23 वर्षीय लड़की को आरोपी ने अगवा कर लिया था। इसके बाद उसने उसके साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। इसके अलावा, उसने कथित तौर पर उसके शव को ईस्टर्न एक्सप्रेसवे के पास एक सुनसान जगह पर जला दिया था।
ट्रायल जज ने सनप को मौत की सज़ा सुनाते हुए कहा था कि उसने बेहद क्रूरता से काम किया और अपराध को पहले से योजनाबद्ध और शैतानी तरीके से अंजाम दिया।
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Supreme Court acquits man on death row since 2015 in rape and murder of techie