सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपनी रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह बिना पूर्व अनुमति के याचिकाओं में ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफ स्वीकार न करे। [सविता रसिकलाल मदान एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य]
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने कहा कि यह प्रथा लंबे समय से चली आ रही है और इसके परिणामस्वरूप याचिकाओं और दलीलों में धुंधली तस्वीरें लगाई जा रही हैं।
न्यायालय ने आदेश दिया, "हम काफी समय से देख रहे हैं कि पक्षकार फोटोग्राफ की ब्लैक एंड व्हाइट फोटोकॉपी रिकार्ड में रखने में पूरी स्वतंत्रता लेते हैं, जिनमें से अधिकांश धुंधली होती हैं। रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना अब तक किसी भी ब्लैक एंड व्हाइट फोटोग्राफ को स्वीकार न किया जाए।"
यह निर्देश दमन और दीव के भूमि मुआवजा और पुनर्वास मामले की सुनवाई के दौरान पारित किया गया था।
इसी पीठ ने 20 अगस्त को वकीलों पर आपत्ति जताई थी जो मोबाइल फोन से खींची गई 'भ्रामक' तस्वीरों पर भरोसा करते हैं और उन्हें दलीलों में जोड़ देते हैं।
यह तब हुआ जब उसने भूमि अतिक्रमण मामले में दायर की गई दलीलों में संलग्न कुछ तस्वीरों पर ध्यान दिया।
न्यायमूर्ति कांत ने तब टिप्पणी की थी, "मोबाइल से फोटो लिया और एनेक्सचर में लगा दिया। एक दिन मैं बार के सदस्यों के खिलाफ बेहद कठोर आदेश पारित करने जा रहा हूं। इस न्यायालय के समक्ष दायर सभी भ्रामक तस्वीरें। उच्च न्यायालयों में ऐसा नहीं होता है।"
उन्होंने संकेत दिया था कि ऐसे कामों में दोषी पाए जाने वाले अधिवक्ताओं के लाइसेंस छीन लिए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा था, "हमें कुछ करना होगा। अगर बार के सदस्य ऐसा करते रहे तो हमें उनका लाइसेंस रद्द करना पड़ेगा।"
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Supreme Court directs its registry not to accept black and white photographs as part of pleadings