सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर चार्जशीट को सार्वजनिक डोमेन और सरकारी वेबसाइटों पर प्रकाशित करने की याचिका खारिज कर दी। [सौरव दास बनाम भारत संघ और अन्य]।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने फैसला सुनाया कि जांच एजेंसियों द्वारा आपराधिक मामलों में दायर चार्जशीट लगाना, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) द्वारा परिकल्पित योजना के विपरीत होगा।
कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट एक 'सार्वजनिक दस्तावेज' नहीं है और इसलिए इसे ऑनलाइन प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।
खंडपीठ ने कहा कि ऐसा करने से आरोपी के साथ-साथ अपराध के पीड़ित और जांच एजेंसी के अधिकारों से भी समझौता हो सकता है।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर पत्रकार और पारदर्शिता कार्यकर्ता सौरव दास की याचिका पर यह आदेश पारित किया गया।
याचिकाकर्ता ने फर्जी खबरों के मुद्दे को भी हरी झंडी दिखाई, जो चार्जशीट के चयनात्मक या गलत लीक से उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे मीडिया ट्रायल हो सकता है।
कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा कि चार्जशीट की तुलना एफआईआर से नहीं की जा सकती है क्योंकि चार्जशीट भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक दस्तावेज नहीं है।
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