सुप्रीम कोर्ट ने जाति व्यवस्था के पुनर्वर्गीकरण की जनहित याचिका खारिज की; ₹25,000 का जुर्माना लगाया

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि ऐसी जनहित याचिकाएं बंद होनी चाहिए और शुरुआत में ₹1 लाख जुर्माना लगाने का प्रस्ताव रखा।
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारत में जाति व्यवस्था के पुन: वर्गीकरण की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) को जुर्माने के साथ खारिज कर दिया। [सचिन गुप्ता बनाम यूओआई]

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने टिप्पणी की कि ऐसी जनहित याचिकाएं अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं और शुरुआत में ₹1 लाख जुर्माना लगाने का प्रस्ताव रखा गया था।

आखिरकार, कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता वकील सचिन गुप्ता को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) को ₹25,000 का जुर्माना देने का आदेश दिया।

कोर्ट ने आदेश दिया, "यह जनहित याचिका अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। हम इसे खारिज करते हैं और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन को 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं।"

आरक्षण को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की मांग करने वाली उसी याचिकाकर्ता द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका को भी शीर्ष अदालत ने मंगलवार को ₹25,000 जुर्माने के साथ खारिज कर दिया।

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Supreme Court dismisses PIL for re-classification of caste system; imposes ₹25,000 costs

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